विधानसभा में विश्वास हासिल नहीं का पाया कांग्रेस का 'अविश्वास'

विधानसभा में विश्वास हासिल नहीं का पाया कांग्रेस का 'अविश्वास'

भोपाल। शिवराज सरकार के खिलाफ कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी, जो गुरूवार गिर गया, इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस हुई थी। गुरूवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए विपक्ष को जवाब दिया। उसके बाद प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिससे अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।

2011 के बाद पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी कांग्रेस 
बता दें कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ 2011 के बाद पहली बार अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा भी हुई, लेकिन चर्चा के बाद अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। दोनों पक्षों में तीखी बहस के बीच अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर हो गया।
विधानसभा का सत्र तय वक्त से पहले खत्म 
अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है, जिससे एक बार फिर मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र तय वक्त से पहले खत्म हो गया, गुरूवार सत्र का चौथा दिन था, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से नामंजूर होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने विधानसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने इसे मंजूरी दी। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सदन में बताया था कि कांग्रेस 300 पॉइंट्स जुटाए हैं और चर्चा के लिए 51 बिंदुओं का चयन किया गया था। गुरूवार को विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। लेकिन सदन में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पीसीसी चीफ कमलनाथ दोनों ही उपस्थित नहीं रहे, जिसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया।

कांग्रेस पार्टी में एक दूसरे पर ही अविश्वास: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 'कांग्रेस हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक दूसरे पर ही अविश्वास है, कांग्रेस का आरोप रहता है कि सरकार हमने नहीं गिराई थी, बल्कि यह सरकार अपने अहंकार के कारण गिरी थी। अपने नेता सिंधिया जी को कहा था सड़क पर उतर जाओ, फिर आपके साथी हमारे साथ आ गए और चुनाव लड़कर जीत कर आए। हमारे साथ आए सभी कांग्रेस विधायकों ने भारी मतों से जीत हासिल करी। इसलिए यह सरकार हमने नहीं गिराई थी, यह सरकार तो अपने खुद के अहंकार की वजह से गिरी थी।Ó बता दें कि कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लिया था। विपक्षी दल कांग्रेस के लगातार हंगामे के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के अवश्विास प्रस्ताव के बिंदुओं पर अपना जवाब दिया। चौहान के लगभग ढाई घंटे के संबोधन के दौरान उन्होंने लगभग सभी बिंदुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कांग्रेस के 15 महीने के शासनकाल के दौरान की गतिविधियों को लेकर विपक्ष को लगातार घेरा। चौहान ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस 15 साल बाद सरकार में आई, तो जनता से किए अपने सभी वायदे पूरा करेगी। इस दौरान उन्होंने प्रतिपक्ष से ही कहा कि वे सोचें कि उनकी सरकार आखिर गिर क्यों गई। आज सदन की कार्यवाही के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की गैरमौजूदगी को भी उन्होंने रेखांकित किया।

कमलनाथ सकार में भ्रष्टाचार का लोकव्यापीकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार विपक्ष के सदस्यों के सम्मान का भी ध्यान रखती है। इसी दौरान उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे तो उनके साथ किस प्रकार का व्यवहार किया गया था। चौहान ने कहा कि कांग्रेस की कमलनाथ सकार ने भ्रष्टाचार का लोकव्यापीकरण किया। उन्होंने कहा कि उस दौरान पदों की बंदरबांट हुई। वरष्ठितम स्तर के अधिकारियों की नियुक्तियों में लेन-देन होता रहा। तबादलों का खेल चला। भ्रष्टाचार के चलते प्रदेश में त्राहि-त्राहि मच गई। इसी दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रण लिया है कि जब तक उस भ्रष्टाचार की बेल को समाप्त नहीं कर देंगे, चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने कांग्रेस की सरकार के दौरान हुए घोटालों का संदर्भ देते हुए कई के नाम भी गिनाए। उन्होंने तत्कालीन सरकार के समय भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने की भी बात कही। चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार में संबल योजना बंद कर दी गई। लाखों हितग्राहियों के नाम काट दिए गए। उन्होंने आदिवासियों के हितों में किए गए अपनी सरकार के कार्यों की जानकारी देते हुए पेसा अधिनियम के प्रावधानों के बारे में भी जानकारी दी।

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