हैंड सैनिटाइजर का अधिक उपयोग सेहत के लिए नुकसानदायक

हैंड सैनिटाइजर का अधिक उपयोग सेहत के लिए नुकसानदायक
हैंडसैनिटाइजर को बनाने में जिन केमिकल्स का उपयोग किया जाता है, उनमें आमतौर पर बेंजाल्कोनियम क्लोराइड होता है। यह रसायन हाथ की त्वचा पर स्थित कीटाणुओं को लगभग पूरी तरह खत्म कर देता है। किसी भी तरह के बैक्टीरिया और इंफेक्शन फैलानेवाले पैथोजेन्स त्वचा पर ऐक्टिव नहीं रह पाते हैं। लेकिन जब इस रसायन को हाथ पर बहुत अधिक उपयोग किया जाने लगता है तो यह कुछ लोगों में एलर्जी, खुजली या जलन की वजह बन सकता है। ऐसा आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है, जिनकी त्वचा बहुत अधिक संवेदनशील होती है। त्वचा को नुकसान हो सकता है हैंडसैनिटाइजर को तैयार करते समय इसमें ट्राइक्लोसोन का उपयोग भी किया जाता है। यह एक ऐसा रसायन है, जो त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यानी हमारी त्वचा इस रसायन को सोख लेती है। इस कारण यह हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। यदि एक सीमित मात्रा से अधिक कोई भी बाहरी रसायन शरीर में जाएगा तो उसके साइड इफेक्ट्स निश्चित तौर पर होते हैं। बहुत अधिक हैंडसैनिटाइजर का उपयोग करने से हाथों में रुखापन बढ़ने लगता है। बार-बार साबुन से हाथ धोने पर भी इस तरह की समस्या होती है। इस स्थिति से बचने के लिए बेहतर होता है कि आप हाथ पोछने के तुरंत बाद अपने हाथों पर एक बूंद सरसों तेल लगाकर मालिश कर लें। मूड पर खराब असर सैनिटाइजर का बहुत अधिक उपयोग करने के कुछ ऐसे नुकसान होते हैं, जिन पर हमारा जल्दी से ध्यान नहीं जाता है। मसलन सैनिटाइजर्स को खुशबूदार बनाने के लिए इनमें जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, कई बार वे रसायन स्ट्रेस और एंग्जाइटी को ट्रिगर करनेवाले होते हैं। ऐसा आमतौर पर उन लोगों के साथ होता है जो बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं। लिवर और किडनी पर नकारात्मक असर हैंडसैनिटाजइजर्स को अच्छी सुंगध देने के लिए जिन रसायनों का उपयोग किया जाता है, उनमें फैथलेट्स भी शामिल है। यह एक ऐसा रसायन है, जिसके अधिक उपयोग का लिवर और किडनी पर नकारात्मक असर देखने को मिलता है। इस कारण उन लोगों को अधिक दिक्कत होती है, जिन्हें पहले से ही पेट या पाचन से जुड़ी बीमारियां हों। बच्चों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं हैंडसैनिटाइज का बहुत अधिक उपयोग बच्चों की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। ऊपर हमने जितनी भी बातें की हैं, इनमें से किसी भी तरह की समस्या होने पर आमतौर पर बच्चे माता-पिता को एक्सप्लेन नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कैसा महसूस हो रहा है या क्या परेशानी हो रही है। वे सिर्फ चिड़चिड़े और बीमार हो जाते हैं। इसलिए बच्चों को भी साबुन से हाथ धुलवाना ही सही है।