बेरूत जैसा धमाका अगर भारत में हुआ, तो क्या होगा

बेरूत जैसा धमाका अगर भारत में हुआ, तो क्या होगा
नई दिल्ली, अमोनियम नाइट्रेट के दाने आम तौर पर मिट्टी उपजाऊ बनाने के काम आते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा अनाज का उत्पादन किया जा सके. लेकिन मंगलवार को लेबनान की राजधानी बेरूत में यही अमोनियम नाइट्रेट एक खतरनाक विस्फोट का कारण बन गया. इस धमाके ने लेबनान के सबसे महत्वपूर्ण खाद्य भंडार को तो नष्ट किया ही, साथ-साथ दर्जनों लोगों की जान भी ले ली. पिछले छह वर्षों से बेरूत बंदरगाह पर 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था. अचानक इसमें विस्फोट हो गया और ये विस्फोट इतना जबरदस्त था कि इससे 3.3 तीव्रता के भूकंप के बराबर तरंगे उत्पन्न हुईं. चिंता की बात यह है कि कस्टम अधिकारियों के मुताबिक, भारत में चेन्नई के पास मनाली में करीब 740 टन अमोनियम नाइट्रेट स्टोर करके रखा हुआ है. इसे 2015 में एक निजी उर्वरक फर्म से जब्त किया गया था. अगर बेरूत में हुए धमाके के बराबर तीव्रता का धमा​का भारत के बड़े शहरों में होता है तो इससे कितना नुकसान होगा. अमोनियम नाइट्रेट सामान्य तापमान पर रखना सुरक्षित है, लेकिन ज्यादा गर्मी से इसमें डिकम्पोजीशन यानी विघटन शुरू हो जाता है और इसकी खतरनाक प्रतिक्रिया हो सकती है, जैसा कि बेरूत में हुआ था. लेबनान की राजधानी में हुए इस धमाके से करीब 135 लोग मारे गए हैं और करीब 5,000 लोग जख्मी हुए हैं. शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि बेरूत में जहां ये विस्फोट हुआ, उसके 6 वर्ग किलोमीटर के दायरे में लगभग 18 लाख लोग रहते हैं. बेरूत की आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि कोई औपचारिक जनगणना का आंकड़ा मौजूद नहीं है. लेबनान की यूनिवर्सिटी ऑफ बालामांद के अनुमान के मुताबिक, प्रत्येक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 21 हजार लोग रहते हैं. ये धमाका काफी शक्तिशाली था जिसने लेबनान की करीब आधी राजधानी को नुकसान पहुंचाया है. किसी भी शहर में आबादी का घनत्व काफी अहम है. बेरूत जैसी त्रासदी किसी भी शहर में भारी तबाही ला सकती है. भारत में पिछले 30 वर्षों में शहरी आबादी बढ़ी है और यह दोगुनी होकर करीब 60 करोड़ हो गई है. भारत के बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु में आबादी बेहद घनी है. हर वर्ग किलोमीटर में दसों हजार लोग रहते हैं. जनसंख्या विशेषज्ञ भी कहते हैं कि अगर ऐसा कोई हादसा होता है ​तो बड़े शहरों को भारी कीमत चुकानी होगी. मुंबई के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज में मैथमेटिकल डेमोग्राफी एंड स्टैटिस्टिक्स विभाग के लक्ष्मी कांत द्विवेदी ने इंडिया टुडे से कहा, “किसी भी हादसे की गंभीरता किसी भी देश की जनसंख्या की सघनता पर निर्भर करती है. मसलन, मुंबई की आबादी बहुत घनी है और शहर के कुछ हिस्सों में जनसंख्या घनत्व (प्रति वर्ग किलोमीटर) 3 लाख से भी ज्यादा है. 6 किमी के दायरे में औसतन 36,54,854 की आबादी प्रभावित होगी.”