अमीर देशों का कोरोना वैक्‍सीन पर हो सकता है कब्‍जा! 2009 में कर चुके हैं ऐसा

अमीर देशों का कोरोना वैक्‍सीन पर हो सकता है कब्‍जा! 2009 में कर चुके हैं ऐसा

कोरोना वायरस की कोई वैक्‍सीन भले ही अभी अप्रूव न हुई हो, लेकिन विकसित देशों ने पोटेंशियल कैंडिडेट्स की डोज कब्‍जानी शुरू कर दी हैं। अबतक एक अरब से ज्‍यादा डोज की डील हो चुकी है। इससे गरीब देशों की चिंता बढ़ गई है। इंटरनैशनल ग्रुप्‍स और कई देश यह वादा तो कर रहे हैं कि वैक्‍सीन सस्‍ती और सबको मिले, लेकिन दुनिया की 7.8 अरब आबादी की डिमांड पूरी करने में बड़ी कठिनाई आएगी। यह डर बढ़ता जा रहा है कि अमीर देश फिर से वैक्‍सीन की सप्‍लाई पर कब्‍जा कर लेंगे जैसा 2009 में स्‍वाइन फ्लू महामारी फैलने पर हुआ था। अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन और जापान ही 1.3 बिलियन डोज की डील कर चुके हैं। ऐडिशनल सप्‍लाई और बाकी डील्‍स भी पूरी होती हैं तो करीब 1.5 बिलियन डोज और रिजर्व हो जाएंगी। ऐसे में बाकी देशों के लिए वैक्‍सीन की डोज कहां से आएंगी?

अबतक कितने की हो चुकी डील?
जून में अस्‍त्राजेनेका ने गावी के प्रोग्राम में 300 मिलियन डोज देने की सहमति दी थी। Pfizer और BioNTech ने कोवैक्‍स को डोज सप्‍लाई करने में दिलचस्‍पी दिखाई है। अमेरिकी सरकार ने Sanofi औार Glaxo से 2.1 बिलियन डॉलर में 100 मिलियन डोज का सौदा किया है। यूएस के पास लॉन्‍ग टर्म में 500 मिलियन ऐडिशनल डोज लेने का ऑप्‍शन भी रहेगा। यूरोपियन यूनियन भी इन दोनों कंपनियों से 300 मिलियन डोज का सौदा करने की प्रक्रिया में है। अमेरिका ने Pfizer और BioNTech के साथ भी 1.95 बिलियन डॉलर की डील की है। Novavax के साथ भी 1.6 बिलियन डॉलर का सौदा हुआ है। अस्‍त्राजेनेका और अमेरिकी सरकार के बीच 1.2 बिलियन डॉलर की डील पहले ही हो चुकी है। यूनाइटेड किंगडम, स्‍पेन, इजरायल समेत कई अमीर देशों ने वैक्‍सीन निर्माताओं से वैक्‍सीन पर डील कर रखी है।

फाइनल स्‍टेज वाली वैक्‍सीन की डोज रिजर्व
फिलहाल वैक्‍सीन की रेस में आगे ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी-अस्‍त्राजेनेका और pfizer-biontech se समेत मॉडर्ना के कैंडिडेट्स की करोड़ों डोज रिजर्व की जा चुकी हैं। ये सभी फाइनल स्‍टेज के ट्रायल से गुजर रही हैं। हालांकि वैक्‍सीन डेवलपर्स को अब भी कई चुनौतियों से जूझना है। सबसे पहले तो यह साबित करना होगा कि वैक्‍सीन प्रभावी है, फिर अप्रूवल लेना होगा और मैनुफैक्‍चरिंग बढ़ानी होगी। एयरइनफिनिटी के अनुसार, 2022 की पहली तिमाही से पहले 1 बिलियन डोज की ग्‍लोबल सप्‍लाई शायद न हो पाए।

बड़े पैमाने पर प्रॉडक्‍शन की हो रही तैयारी
दुनियाभर में वैक्‍सीन के उत्‍पादन को सबसे अहम समझा जा रहा है। फार्मा कंपनियां बड़े पैमाने पर वैक्‍सीन की डोज बनाने के लिए नई-नई डील्‍स कर रही हैं। Sanofi और Glaxo के अलावा दुनिया का सबसे बड़ा वैक्‍सीन प्रोड्यूसर, सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया भी 2021 में करोड़ों डोज तैयार करने का टारगेट सेट कर चुके हैं।

2021 तक 2 बिलियन डोज सप्‍लाई करने का प्‍लान
वैक्‍सीन सबको मिले, इसके लिए वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाजेशन के अलावा कोअलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशंस और वैक्‍सीन अलायंस गावी मिलकर काम कर रहे हैं। जून में इन सबने मिलकर 18 बिलियन डॉलर खर्च कर 2021 के आखिर तक 2 बिलियन डोज सिक्‍योर करने का प्‍लान बनाया था। इस पहल को कोवैक्‍स (Covax) नाम दिया गया है।

कई देशों के बीच हो सकता है तनाव
सप्‍लाई के लिए वैक्‍सीन निर्माताओं के साथ देशों को अलग-अलग समझौते करने होंगे क्‍योंकि कुछ वैक्‍सीन तो सफल नहीं होंगी। इस हालात में वैक्‍सीन के लिए बोलियां तक लग सकती हैं और फिर देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है। अभी तक 78 देशों ने कोवैक्‍स का हिस्‍सा बनने में दिलचस्‍पी दिखाई है। गावी जो प्रोग्राम चला रहा है, उससे कम और मध्‍यम आय वाले 90 से ज्‍यादा देशों को वैक्‍सीन मिल सकेगी। बाकी दुनिया के लिए चिंता बरकरार है।