कोरोना वैक्सीन: जानिए कब आएगी भारत की वैक्सीन

नई दिल्ली
कोरोना वायरस का टीका इस साल के आखिर तक उपलब्ध हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन यही उम्मीद जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी एक वैक्सीन कैंडिडेट क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है। दूसरी तरफ, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) 'कोविशील्ड' नाम से जो वैक्सीन बना रही है, वह 73 दिन में उपलब्ध हो सकती है। 'कोविशील्ड' को ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्राजेनेका के रिसर्चर्स ने डेवलप किया है। सरकार SII के अलावा कई फार्मा कंपनियों के संपर्क में है और ज्यादा से ज्यादा टीके हासिल करना चाहती है। अगर ICMR और भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही 'कोवैक्सीन' और जाइडस कैडिला की 'ZyCoV-D' ट्रायल में सफल होती हैं, तो उनके ऑर्डर भी दिए जा सकते हैं।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ''सरकार ने हमें एक विशेष निर्माण प्राथमिकता लाइसेंस दिया है। ट्रायल प्रोटोकॉल की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है जिससे 58 दिनों में ट्रायल पूरा किया जा सके।' कंपनी ने एस्ट्राजेनेका नामक कंपनी के साथ एक एक्सक्लूसिव अग्रीमेंट कर अधिकार खरीदे हैं ताकि इसे भारत और 92 अन्य देशों में बेचा जा सके। इसके बदले में सीरम इंस्टिट्यूट कंपनी को रॉयल्टी फीस देगी।
रूस ने दूसरी कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने का दावा किया है। इस वैक्सीन को EpiVacCorona नाम दिया गया है। दावा है कि इसमें ऐसा कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होगा जो पहली वैक्सीन Sputnik V में था। रूस EpiVacCorona वैक्सीन का निर्माण साइबेरिया में सोवियत संघ के एक पूर्व टॉप सीक्रेट बॉयोलॉजिकल हथियारों के प्लांट में कर रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जिन 57 लोगों को यह वैक्सीन दी गई थी, उन्हें साइड इफेक्ट नहीं हुआ है।
चीन ने एक नई वैक्सीन के इंसानों पर ट्रायल की अनुमति दी है। यह वैक्सीन कीड़ों की कोशिकाओं के भीतर बनाई गई है। चेंगदू की स्थानीय सरकार के मुताबिक, इस वैक्सीन का लॉर्ज-स्केल प्रॉडक्शन तेजी से हो सकता है। बंदरों पर ट्रायल में वैक्सीन कोरोना इन्फेक्शन रोकने में सफल रही। कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं हुए। चीनी वैज्ञानिक पहले से ही आठ और कोरोना वैक्सीन पर काम कर रहे हैं।
कोरोना वायरस वैक्सीन डेवलपमेंट को लेकर सटीक जानकारी के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद तैयारियां (ICMR) नया सिस्टम ला रहा है। एक पोर्टल बन रहा है जिस पर अंग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं में जानकारी दी जाएगी। महामारी विज्ञान एवं संचारी रोग विभाग के प्रमुख समिरन पांडा ने बताया कि पोर्टल बनाने का उद्देश्य कोविड-19 के टीके के विकास के बारे में सारी जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाना है क्योंकि अभी इस सबंध में सारी सूचनाएं बिखरी हुई हैं। उन्होंने बताया कि पोर्टल अगले हफ्ते तक शुरू हो सकता है।
वैक्सीन निर्माताओं से सीधी डील कर कई देशों ने शुरुआती डोज कब्जा ली है। इससे बाकी देशों को पर्याप्त टीके न मिल पाने का डर बढ़ गया है। WHO ने इस चिंता को दूर करने के लिए जॉइंट प्रोक्योरमेंट प्रोग्राम COVAX चलाया है। WHO ने वैक्सीन अलॉटमेंट के लिए दो विकल्प सामने रखे हैं। या तो दुनिया के हर देश को उसकी आबादी के हिसाब से वैक्सीन की डोज दी जाएं। दूसरा रास्ता ये है कि देशों को उनकी आबादी को खतरे के आधार पर आंका जाए और फिर प्राथमिकता के लिहाज से वैक्सीन बांटी जाए।