काठमांडू, चीन के इशारे पर चल रहे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भारत के प्रति अब सुर बदलते दिख रहे हैं। नेपाली प्रधानमंत्री ने भारतीय सेना प्रमुख की नेपाल यात्रा से ठीक पहले अपने रक्षामंत्री को बदल दिया है। ओली ने देश के डेप्युटी पीएम ईश्वर पोखरियाल से रक्षा मंत्री का प्रभार वापस ले लिया है। माना जा रहा है कि भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए ओली ने यह कदम उठाया है।
मुताबिक डेप्युटी पीएम ईश्वर पोखरेल ओली कैबिनेट में भारत के सबसे मुखर विरोधी माने जाते हैं। अब खुद पीएम ओली रक्षामंत्री का प्रभार संभालेंगे। ओली ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे 3 नवंबर को नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं। पोखरेल को प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
गोरखा सैनिकों को उकसाने का प्रयास किया
इस तरह से ईश्वर पोखरेल मंत्री तो हैं लेकिन उनके पास कोई विभाग नहीं है। इससे पहले मई महीने में इस साल जनरल नरवणे ने संकेत दिया था कि कैलाश मानसरोवर जाने वाले लिपुलेख रोड पर नेपाल के रिएक्शन के पीछे चीन की भूमिका है। इसके बाद ईश्वर पोखरेल ने भारतीय सेना में वर्षों से सेवा दे रहे गोरखा सैनिकों को उकसाने का प्रयास किया था। पोखरेल ने आरोप लगाया था कि जनरल नरवणे की प्रतिक्रिया से गोरखा सैनिकों की भावनाओं को ठेस पहुंचा है।
पोखरेल ने इससे पहले भी कई भारत विरोधी बयान दिए थे। नेपाल पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि पोखरेल ने भारतीय सेना प्रमुख की यात्रा का भी विरोध किया था। पोखरेल चाहते थे कि भारत पहले सीमा विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता की मेज पर बैठे। पोखरेल का खुद अपने ही आर्मी चीफ पूर्ण चंद्र थापा से कई बार विवाद हो चुका है। जनरल थापा ने लिपुलेख पर बयान जारी करने से इनकार कर दिया था।
जनरल नरवणे को नेपाली सेना के मानद जनरल का दर्जा
बता दें कि इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को अगले महीने नेपाली सेना के मानद जनरल का दर्जा मिलने जा रहा है। जनरल नरवणे अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जाने वाले हैं, जिस दौरान पड़ोसी देश उन्हें इस सम्मान से नवाजेगा। नेपाली सेना के प्रवक्ता ने बताया कि जनरल नरवणे इस साल नवंबर में नेपाल का दौरा करने वाले हैं। हालांकि, दोनों देशों के बीच ऐसी परंपरा रही है। नेपाली आर्मी के प्रमुख को भी इंडियन आर्मी के जनरल का मानद दर्जा दिया जाता है। भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र बताने से जुड़े नेपाल सरकार के नए नक्शे के जारी होने के बाद यह भारत से नेपाल के लिए पहला उच्च स्तरीय दौरा होगा।