छतरपुर में लापता हुए 4272 प्रधानमंत्री आवास

छतरपुर में लापता हुए 4272 प्रधानमंत्री आवास
kamlesh pandey छतरपुर। नगर पालिका क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत व्यापक फर्जीवाड़े के आरोप सामने आ रहे हैं। वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से शुरू हुई गरीबों को घर देने की पहल करोड़ों के घोटाले की योजना के रूप में तब्दील होती दिखाई दे रही है। इस योजना के माध्यम से अब तक तीन अलग-अलग चरणों में कुल 7063 मकानों के निर्माण कार्य शुरू कराए गए। इन निर्माण कार्यों पर केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से भेजी गई लगभग 90 करोड़ रूपए की राशि भी खर्च दिखाई गई लेकिन तीन साल बाद भी इस योजना के माध्यम से कुल 2820 मकान ही पूर्णत: बनकर तैयार हो सके हैं। नगर पालिका क्षेत्र में 4243 मकान अब भी लापता हैं। मंगलवार को छतरपुर नगर पालिका परिसर में जब 944 लोगों को उनके घरों की चाबी सौंपकर गृह प्रवेश कार्यक्रम मनाया जा रहा था। इसी दौरान छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी ने नगर पालिका में हुए फर्जीवाड़े का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े के कारण छतरपुर जिले में पीएम आवास की यह योजना तीन अधूरे चरणों के साथ ठहर गई है। शासन को तीन चरणों की उपयोगिता रिपोर्ट न भेजे जाने के कारण जहां हितग्राहियों की राशि रूक गई है तो वहीं आगामी चरणों की प्रक्रिया को भी सरकार ने रोक दिया है। इस फर्जीवाड़े के कारण अनेक पात्र परिवारों को इस योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी भी मौजूद रहे। कैसे हुआ फर्जीवाड़ा नगर पालिका से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2017 में पीएम आवास के पहले चरण के मुताबिक छतरपुर नगर पालिका क्षेत्र में 1646 लोगों को ढाई लाख रूपए देकर मकान निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी। इनमें से 1536 लोगों ने दो लाख रूपए की राशि ले ली जिस पर सरकार के 15 करोड़ 56 लाख रूपए खर्च हो गए लेकिन इन 1536 में से सिर्फ 944 लोगों ने ही अपने मकानों के निर्माण पूरे कराए। लगभग 612 लोगों ने न तो निर्माण पूरा कराया और न ही राशि का उपयोग नगर पालिका के कार्यालय में दर्ज कराया गया। इसी तरह दूसरे चरण में भी 3745 लोगों को पीएम आवास योजना के अंतर्गत चयनित किया गया। इन लोगों में से सिर्फ 700 लोगों ने मकानों को पूर्णत: निर्मित कराया। 263 लोग मकानों को छत तक ही बना सके। 170 लोगों ने लेेंटर तक के निर्माण को पूरा किया। 76 लोग सिर्फ फाउण्डेशन पर ही ठहर गए। चौकाने वाली बात ये है कि 2536 लोगों ने राशि लेने के बाद भी काम शुरू नहीं किया। दूसरे चरण भी सरकार से 41 करोड़ 92 लाख 72 हजार रूपए छतरपुर नगर पालिका को जारी किए गए जिसे नगर पालिका ने खर्च में दिखाया। दूसरा चरण अधूरा होने के बाद भी शासन के द्वारा तीसरे चरण की राशि जारी किए बगैर वर्ष 2018 में तीसरा चरण भी प्रारंभ कर दिया गया। इस चरण के मुताबिक 1672 लोगों को चयनित किया गया जिसमें सिर्फ 102 मकानों का निर्माण पूरा हुआ, 74 मकान सिर्फ छत तक निर्मित हुए। 311 लोगों ने लेंटर तक का काम किया। 180 लोग फाउण्डेशन के बाद ही ठहर गए जबकि 1005 लोगों ने कार्य भी प्रारंभ नहीं किया। चौकाने वाली बात ये है कि तीसरे चरण के 1672 लोगों में से 1286 लोग पहली किश्त, 194 लोग दूसरी किश्त और 29 लोग तीसरी किश्त लेकर घर बैठ गए। इन पर सरकार ने 14 करोड़ 94 लाख रूपए खर्च कर दिए। अब तक छतरपुर में हुए तीनों चरणों में सरकार ने 89 करोड़ 90 लाख 50 हजार रूपए जारी किए जिसमें से छतरपुर नगर पालिका 89 करोड़ 57 लाख 9 हजार रूपए खर्च कर चुकी है जबकि लगभग 4243 मकान लापता हैं। 71 अपात्रो के खिलाफ दर्ज हुआ एफआईआर नगर पालिका अब लगभग 90 करोड़ रूपए खर्च करने एवं तीन साल बीतने के बाद तब जागी जब छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी ने पीएम आवास योजना अंतर्गत घोटाले संबंधी शिकायत राज्य सरकार से की। इस शिकायत के बाद नगर पालिका में हडक़ंप मचा और फिलहाल पहले चरण के 1646 के हितग्राहियों की जांच शुरू की गई है। इस जांच में 102 लोगों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने के लिए सीएमओ अरूण पटैरिया के द्वारा पुलिस को पत्र लिखा गया है जबकि लगभग 544 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी कर उनके नाम समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए गए हैं।वही जिनके खिलाफ नोटिस जारी हुए उनमे से 71 अपात्रो के खिलाफ एफआईआर अलग अलग थानों में दर्ज की गई है। जियो टैगिंग के बाद भी जारी होती रही राशि इस पूरे घोटाले में नगर पालिका के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत खुलकर सामने आ रही है। दरअसल पीएम आवास योजना के अंतर्गत हितग्राही को स्वयं के मकान निर्माण के लिए सरकार ढाई लाख रूपए की राशि किश्तों में जारी करती है। हितग्राही जैसे-जैसे मकान का निर्माण करता है उसी हिसाब से किश्त जारी होती है। इस योजना में पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए शासन किश्त जारी करने के पहले सेटेलाइट इमेज के माध्यम से निर्माण कार्य की प्रक्रिया को पूरा करता है जिसे जियो टैगिंग कहा जाता है यानि निर्माण कार्य से जुड़ी तस्वीरें एक सॉफ्टवेयर में अपलोड करनी होती हैं। एक मकान के पूरा बनने तक 5 बार जियो टैगिंग की प्रक्रिया अपनायी जाती है। चौकाने वाली बात ये है कि छतरपुर में 4243 लोगों को राशि जारी कर दी गई और उनके काम का मूल्यांकन भी तीन वर्षों में पूरा नहीं हो सका। इनका कहना- प्रथम दृष्टया इस मामले में घोटाला साफ तौर पर नजर आ रहा है। इस घोटाले के कारण पात्र हितग्राही योजना से वंचित रहे तो वहीं अपात्रों ने सरकारी धनराशि को जमकर लूटा। इस घोटाले के कारण पीएम आवास की अगले चरण की प्रक्रिया भी ठहर गई है जिसका नुकसान भी गरीबों को हुआ है। हम इस मामले की पूरी जांच कराएंगे ताकि दोषियों पर कार्यवाही हो। आलोक चतुर्वेदी, विधायक, छतरपुर सरकारी पैसा कोई नहीं खा सकता, नगर पालिका ने अपात्रों से राशि वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही फर्जीवाड़ा करने वालों के विरूद्ध भी कार्यवाही होगी। अरूण पटैरिया, सीएमओ, छतरपुर