shyam jatav
नीमच, 20 जून को हैदराबाद के डंडीगल वायु सेना अकादमी में कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड आयोजित किया था। इस पासिंग आउड परेड को टीवी पर टकीटकी लगा कर एमपी के नीमच में बैठे सुरेश गंगवाल और उनका परिवार देख रहा था। उनकी बिटिया आंचल गंगवाल इस परेड में मार्च पास्ट कर रही थी। मार्च पास्ट के बाद आंचल गंगवाल को राष्ट्रपति पट्टिका से सम्मानित किया गया। इस पल को देख पिता की आंखें छलक आईं। आंचल के पिता सुरेश आज भी नीमच में चाय बेचते हैं। बिटिया ने अपनी उपलब्धि से पिता का सिर सम्मान से ऊंचा कर दिया है।
भारतीय वायु सेना के चीफ बीकेएस भदौरिया की उपस्थिति में शनिवार को आंचल गंगवाल को एक फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कमीशन मिला। इस मौके पर भदौरिया ने युवा अधिकारियों से कहा कि योग्यता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इस समारोह के लिए फ्लाइंग ऑफिसर आंचल गंगवाल के माता-पिता को भी जाना था, लेकिन कोरोना माहामारी की वजह से नहीं जा सके।
केदारनाथ त्रासदी को देख फोर्स में जाने का बनाया लक्ष्य
केदारनाथ त्रासदी के दौरान आंचल ने फोर्स ज्वाइन करने का फैसला किया था। उस वक्त वह 12वीं में पढ़ रही थी। आंचल शुरू से ही मेहनती थी, पहले एमपी में उसे पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली थी, कुछ दिन बाद वह नौकरी छोड़ दी। फिर आंचल का चयन लेबर इंसपेक्टर के रूप में हुआ। लेकिन उसका मकसद फोर्स में जाना था। इसलिए आगे चलकर वह लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी भी छोड़ दी।
पांच असफलताओं के बाद मिली सपफलता
आंचल गंगवाल का एयरफोर्स में चयन 7 जून 2018 को हुआ था। उस वक्त आंचल ने कहा था कि एयरफोर्स कॉम एडमिशन टेस्ट को पास करना उसके लिए आसान काम नहीं था। आंचल ने 5 बार इंटरव्यू बोर्ड का सामना किया था और असफलता हाथ लगी। छठवीं प्रयास में उसे सफलता हाथ लगी थी। आंचल उस साल देश भर की उन 22 प्रतिभागियों में शामिल थी, जिसका चयन इस पद के लिए हुआ था। एमपी से वह इकलौती थी।
बड़ा बेटा है इंजीनियर
चाय बेचकर घर चलाने वाले सुरेश का बड़ा बेटा इंजीनियर है। दूसरी बेटी फ्लाइंग अफसर बन गई है और सबसे छोटी बेटी बी कॉम की छात्रा है। आंचल कहती हैं कि मुसीबतों से नहीं घबराने का सबक उन्होंने अपने पिता से सीखा है। 'आर्थिक परेशानियां जीवन में आती हैं, लेकिन मुश्किलों का मुकाबला करने का हौंसला होना और किसी भी कीमत पर लक्ष्य तक पहुंचने का जज्बा होना जरूरी है। लड़कियां किसी से कम नहीं हैं और दृढ़ इच्छा शक्ति से अपने सपने को साकार कर सकती हैं। आंचल नहीं चाहती कि उसके पिता चाय बेचने का काम अब बंद कर दें। उसके मुताबिक काम कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता। ईमानदारी से किया गया हर काम बड़ा होता है। हालांकि आंचल की इच्छा है कि अपनी तनख्वाह से वो अपने पिता की चाय की दुकान को थोड़ा ठीक करवा दें और ताकि जब तक पिता चाहें, तब तक चाय की दुकान अच्छे से चला सकें।