गुना. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत केवल भूगोल का टुकड़ा नहीं है बल्कि यह एक स्वभाव का नाम है और यह भाव सदैव जीवित रहेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि देश को नेता नहीं नायक की आवश्यकता है. भागवत ने कहा कि भारत एक पुरातन सभ्यता है. कोई यह समझने की भूल न करे की यह एक भगौलिक सीमा में बंधा हुआ है. भारत केवल भूगोल का टुकड़ा नहीं है, स्वभाव का नाम है और यह भाव सदैव जीवित रहेगा.
संघ की प्रचार शाखा विश्व संवाद केन्द्र के प्रांत प्रचार प्रमुख ओम प्रकाश सिसोदिया ने शनिवार को जारी विज्ञप्ति में बताया कि संघ प्रमुख भागवत ने मध्यप्रदेश के गुना में आयोजित आरएसएस के तीन दिवसीय युवा संकल्प शिविर को संबोधित करते हुए ये बातें कही. भागवत ने कहा कि यदि आप राष्ट्र का उत्थान चाहते हैं तो आपको इसके लिए प्रयास भी करने होंगे. आज हर व्यक्ति सामने आकर नेता बनने का प्रयास करता है, यह ठीक नहीं है. कुछ लोग कभी सामने नहीं आते लेकिन वह नींव के पत्थर का काम करते हुए देश के हित में अपना जीवन लगा देते हैं. उनका नाम भी कोई नहीं जानता लेकिन उनके प्रयासों के कारण देश का नाम और ख्याति लगातार बढ़ रही है. आज हमें उन लोगों की पद्धति का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए.
भागवत ने कहा कि जब तक समाज नहीं बदलता देश का भविष्य नहीं बदल सकता. आज हम में स्वयं कुछ नहीं करते हुए, सब कुछ प्राप्ति की अपेक्षा करने की गलत आदत बन गई है. बता दें कि तीन दिनों तक चलने वाले इस शिविर में मध्य प्रदेश के 16 जिलों से आए युवा विभिन्न विषयों पर आयोजित चिंतन सत्रों में भाग ले रहे हैं. शिविर में युवाओं के लिये सांस्कृतिक एवं शारीरिक गतिविधियां भी की जा रही हैं. शिविर में मध्य प्रदेश में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हुए.