मंगल पर 625 मीटर की यात्रा पर निकलेगा इंजेन्यूटी, जोखिम उठाकर नए अध्ययन करेगा
वाशिंगटन
मंगल ग्रह पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा रोवर पर्सेवरेन्स के साथ उतारा गया छोटा हेलिकॉप्टर इंजेन्यूटी करीब 625 मी दूरी की उड़ान भरने जा रहा है। यह इंजेन्यूटी की 9 वीं उड़ान होगी।
नासा के अनुसार, यह उड़ान 4 जुलाई के बाद कभी भी करवाई जा सकती है। इंजेन्यूटी ने 19 अप्रैल को पहली बार मंगल पर उड़ान भरी थी। यह पृथ्वी के अलावा किसी अन्य ग्रह पर मानव द्वारा हेलिकॉप्टर उड़ाने की पहली उपलब्धि थी। उस समय इंजेन्यूटी करीब 30 सेकंड के लिए 10 फुट ऊंचाई पर उड़ा था।
इसके बाद से इसकी उड़ान की ऊंचाई और दूरी बढ़ाई जाती रही है। नासा के अनुसार, यह पांच अलग-अलग उड़ान क्षेत्रों में जा चुका है। इस समय पर्सेवरेंस व इंजेन्यूटी मंगल के सेताह क्षेत्र में हैं। यहां रेतीले धोरे और उबड़ खाबड़ चट्टानें हैं।
इस बार इंजेन्यूटी कुछ ऐसा करने जा रहा है जो केवल एक हवाई उपकरण ही कर सकता है। उड़ान में न केवल नए रिकॉर्ड बनेंगे, बल्कि खतरनाक क्षेत्रों में भी वह जाएगा।
सेताह क्षेत्र को पार करके दक्षिण में स्थित एक मैदान तक पहुंचेगा। इस दौरान मंगल की चट्टानों व धोरों की आसमान से रंगीन तस्वीरें लेगा।
इस यात्रा में इंजेन्यूटी को 2,051 फुट यानी करीब 625 मी दूर तक उड़ान भरने, 5 मी प्रति सेकंड की गति रखने और करीब 167 सेकंड तक हवा में रहने के निर्देश दिए गए हैं।
नासा के अनुसार इस उड़ान में इंजेन्यूटी एक ज्यादा खतरनाक क्षेत्र में उतर सकता है। साथ ही उसके टेलीकॉम सिस्टम को भी रोवर से काफी दूर रहना होगा , वैसे यह करीब कुछ सौ मीटर दूरी तक काम करने के लिए बना है। इन वजहों से उड़ान को खतरों भरा माना जा रहा है।
इन खतरों के बावजूद नासा जोखिम उठा रहा है क्योंकि इंजेन्यूटी ने अब तक अपने काम मजबूती से किए हैं। नासा मानता है कि ज्यादा जोखिम लेने पर ज्यादा अच्छे परिणाम व लक्ष्य हासिल किए जा सकेंगे। अगर वह सफल रहा तो मंगल सहित अन्य ग्रहों के अध्ययन में हवाई उपकरणों की उपयोगिता भी बढ़ जाएगी।

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