40 दिनों के बाद कब्र से निकाला गया शव
औरंगाबाद
कोर्ट के आदेश के बाद युवा जदयू नेता के भतीजे की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के एक महीने बाद कब्र खोदकर लाश निकाली गई। मो. दानिश के शव को निकालने की प्रक्रिया 4 घंटे के बाद पूरी हो सकी।
सुबह में पुलिस टीम सैंपल लेने के लिए दो डिब्बे लेकर पहुंची थी। लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि लाश बाहर निकाल कर सदर अस्पताल में उसका पोस्टमार्टम कराया जाए। विरोध जताने पर सदर अस्पताल से तीन डॉक्टरों डॉ. आर.बी. चौधरी, डॉ. अमित कुमार वर्मा, डॉ. आलोक रंजन बुलाए गए। इसके बाद खुदाई कर शव को सदर अस्पताल ले जाया गया।
परिजनों ने सैंपल रखने के लिए बाहर से डिब्बा मंगवाया और कहा कि पुलिस मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। इतने दिनों के बाद सैंपल लिया जा रहा है और इससे सबूत जुटाने में वैसे भी परेशानी होगी। मिली जानकारी के अनुसार युवा जदयू के प्रदेश महासचिव मुमताज अहमद उर्फ जुगनू के भतीजे दानिश की मौत मामले में नगर थाना स्तर से कार्रवाई नहीं होने पर सीजेएम के यहां परिवाद दायर किया गया था। सीजेएम ने इस मामले में सुनवाई की और प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करने का निर्देश दिया। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव को कब्र से बाहर निकालने की तैयारी की और परिजनों से इसकी अनुमति मांगी। परिजनों द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद शव निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मृतक के चाचा मो. जुगनू ने बताया कि पुलिस की लापरवाही के कारण इतना समय लगा। 12 जून के बाद से 40 दिनों का समय बीत गया लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
सीजेएम के आदेश के बाद पोस्टमार्टम के लिए शव को निकाला गया। यदि उससे पूछताछ की जाती तो कुछ खुलासा हो सकता था। कहा कि पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है और यही वजह है कि अब तक हत्या का खुलासा नहीं हुआ है। 12 जून को जब मो. दानिश को मदरसा रोड से उठाया गया तो उसके मुंह से झाग निकल रही थी और बाद में उन्हें बताया गया कि उसे जहरीला पदार्थ खिला दिया गया था।
वह डेंटिंग का काम बहुत कम पैसों पर करता था और इस बात से कई लोग नाराज रहते थे। यह भी एक कारण था कि कई लोगों का उससे मनमुटाव था और रंजिश में उसकी हत्या की गई। नगर थानाध्यक्ष ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद सारी बातें सामने आ पाएंगी। फिलहाल हत्या मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मामले की जांच हो रही है।