नामांकन के दिन हुआ ऐलान, रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी

नामांकन के दिन हुआ ऐलान, रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी

अमेठी से गैर गांधी परिवार से पहली बार उम्मीदवार

नई दिल्ली, नामांकन के अंतिम वक्त कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। सभी अटकलों को विराम देते हुए कांग्रेस ने रायबरेली से राहुल गांधी को मैदान में उतारा है। वहीं प्रियंका को लेकर जो अटकलें लगाई जा रहीं थीं वा समाप्त हो गई हैं। पार्टी ने अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है। केएल शर्मा पहली बार चुनावी मैदान में होंगे। 

सोनिया गांधी के करीबी केएल शर्मा

केएल शर्मा को सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है। वो अब तक रायबरेली में सांसद प्रतिनिधि के रूप में जिम्मेदारी संभालते थे। आम चुनाव के पांचवें फेज में 20 मई को अमेठी और रायबरेली सीट पर मतदान होगा। अमेठी और रायबरेली सीट परंपरागत रूप से गांधी-नेहरू परिवार की सीट मानी जाती रही है। 

मल्लिकार्जुन खड़गे भी नामांकन में शामिल होंगे

अमेठी और रायबरेली में नामांकन की तैयारी पूरी हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए रायबरेली जा रहे हैं। खड़गे सुबह 10:30 बजे रायबरेली पहुंचेंगे।

अमेठी में फिर बीजेपी से स्मृति ईरानी मैदान में

भाजपा की सांसद स्मृति ईरानी अमेठी से एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। वहीं रायबरेली से दूसरी बार भजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर भरोसा जताया है। 2019 का चुनाव दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से हार गए थे। 

वायनाड से भी चुनाव लड़ा है राहुल ने

राहुल गांधी ने पहली बार 2004 में अमेठी सीट पर चुनाव जीता था। उसके बाद वे लगातार तीन बार 2019 तक अमेठी से संसद सदस्य रहे। वर्तमान में राहुल  गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं। इस बार भी उन्होंने वायनाड से चुनाव लड़ा है। 

एक सीट के वोटर का भरोसा तोड़ेंगे राहुल गांधी: एनी राजा   

राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड से चुनाव लड़ने वालीं सीपीआई उम्मीदवार एनी राजा का बयान आया है। उन्होंने रायबरेली से राहुल के चुनाव लड़ने पर तंज कसा है। एनी राजा ने कह, वो वायनाड से चुनाव लड़े हैं। वायनाड के लोगों को क्यों नहीं बताया कि वो रायबरेली से भी चुनाव लड़ेंगे? ये तो राजनीतिक नैतिकता के हिसाब से सही नहीं है। अगर वो एक सीट से जीतेंगे तो दूसरी सीट छोड़नी पड़ेगी। मतलब एक सीट के वोटर का भरोसा तो वो तोड़ेंगे ही।

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