जाते-जाते मरीजों को गठिया रोग दे गया कोरोना, बढ़ गए डेढ़ गुना मरीज

भोपाल। कोरोना महामारी के बाद गठिया के रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। डाक्टरों के मुताबिक, पहले के मुकाबले संख्या में करीब डेढ़ गुना की बढ़ोतरी हुई है। हालत यह है कि बड़ी संख्या में 20 से 40 आयु वर्ग के लोग गठिया की शिकायत लेकर डाक्टरों के पास पहुंच रहे हैं। दरअसल, कोरोना की वजह से आम आदमी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हुई है। गठिया ऐसे लोगों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। सामान्यत: गठिया को जोड़ों के दर्द की बीमारी माना जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं। यह बीमारी सिर के बाल से लेकर पैर के नाखून तक हर जगह हो सकती है। इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में जोड़ों का दर्द जरूर शामिल है।
अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत
कोरोना महामारी की वजह से लोगों के फेंफड़े ही नहीं खराब हुए बल्कि उनकी बीमारियों से लडऩे की क्षमता भी प्रभावित हुई है। यही वजह है कि गठिया तेजी से बढ़ा है। डाक्टरों के मुताबिक, 150 से ज्यादा तरह के गठिया होते हैं। गठिया का असर अगर जोड़ों के साथ हृदय या किडनी पर पड़ रहा है तो आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। डाक्टरों के मुताबिक, इस तरह का गठिया खतरनाक होता है। आरंभिक अवस्था में ही गठिया का इलाज शुरू कर दिया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है, लेकिन लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
इन वजह से बढ़ता है खतरा
गठिया के मुख्य वजहों में बदली जीवनशैली और खानपान शामिल है। बाजार के खाने को खराब होने से बचाने के लिए कई बार इसमें केमिकल मिला दिया जाता है। ये केमिकल शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा बासी खाना, बढ़ता प्रदूषण, फास्ट फूड का सेवन आदि कई वजह हैं जिनसे गठिया के मरीज बढ़े हैं।
रक्त में थक्का जमने की समस्या बढ़ी है
वरिष्ठ चिकित्सक डा. सौरभ मालवीय के अनुसार, कोरोना के बाद रक्त में थक्का जमने की समस्या बढ़ी है। इसके चलते गठिया रोग भी बढ़ा है। गठिया रोग सिर के बाल से लेकर पैर के नाखून तक कहीं भी हो सकता है। दरअसल, यह भ्रांति है कि गठिया में सिर्फ जोड़ों का दर्द होता है, लेकिन यह सही नहीं है। यह बीमारी पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। यह आटोइम्यून बीमारी है। यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होते ही यह बीमारी घर बना लेती है।
लक्षण नजर आते ही शुरू करें इलाज
गठिया रोग विशेषज्ञ डा. वीपी पांडे का कहना है कि एक प्रकार के दर्द को एक ही तरह का गठिया नहीं मानना चाहिए। 150 तरह के गठिया होते हैं। गठिया के हिसाब से उपचार के लिए विशेष उपाय अपनाना पड़ते हैं। महिलाओं का गठिया जोड़ों की झिल्ली में सूजन की वजह से होता है। अब इसका पूरी तरह से निदान उपलब्ध है। इसी तरह से रीढ़ की हड्डी का गठिया भी नियंत्रित किया जा सकता है। बायलाजिकल थैरेपी से गठिया के उपचार में बहुत मदद मिलती है। कुछ वर्षों पहले तक यह थैरेपी महंगी हुआ करती थी, लेकिन अब यह आम आदमी की पहुंच में आ गई है। गठिया का उपचार लक्षण नजर आते ही शुरू हो जाना चाहिए। भ्रांति है कि गठिया रोग अधिक उम्र में होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह बीमारी किसी भी उम्र में होती है। एक वर्ष की उम्र के बच्चे को भी गठिया हो सकता है। डाक्टरों के पास पहुंचने वाले गठिया के मरीजों में आधे से ज्यादा मरीज 20 से 40 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं।
गठिया के सामान्य लक्षण -
जोड़ों में दर्द, सूजन और अकडऩ
मांसपेशियों में दर्द
बार-बार बुखार आना
त्वचा पर चकते पडऩा
बार-बार मुंह में छाले होना
अचानक से बाल झडऩे लगना
अचानक से थकान और कमजोरी