डिंडोरी और दमोह में मिला खनिज भंडार, प्रदेश होगा मालामाल
बदलेगी महाकोशल की तस्वीर, एल्युमिनियम कारखाने को भी होगा फायदा
खुलेंगे निवेश के द्वार, बढ़ेगे रोजगार के नए अवसर
जिला मिनरल फंड बढ़ेगा, स्थानीय विकास कार्य ज्यादा हो सकेंगे
praveen namdev
जबलपुर। प्रदेश के डिंडोरी और दमोह में खनिज भंडार खोजे गए हैं। हाल ही में जियोलॉजिकल सर्वे में डिंडोरी के 300 हेक्टेयर में बॉक्साइट और दमोह के 220 हेक्टेयर में लाइमस्टोन के बड़े भंडार का पता चला है। अरबों रुपए की खनिज सम्पदा के खनन से सरकार का खजाना तो भरेगा ही, रॉयल्टी पर मिलने वाले मिनलर फंड की मोटी राशि से अंचल के विकास को पंख लग सकेंगे। नई प्रोसेंसिंग यूनिट स्थापित होंगी, जिससे नए निवेश के अवसर बढ़ेगे। रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
पिपरिया माल गांव में लगभग 300 हेक्टेयर में है भंडार
मिल रही जानकारी के अनुसार डिंडोरी जिले के पिपरिया माल गांव में बॉक्साइट के अलावा एल्युमेनस लैटेराइट और लैटेराइट का लगभग 300 हेक्टेयर में भंडार है। खास बात यह है कि खनिज के ये ब्लॉक निजी भूमि में ज्यादा मिले हैं। सिर्फ 69 हेक्टेयर शासकीय भूमि पर एक बॉक्साइट ब्लॉक चिन्हित किया गया है। यह खुदाई के लिए लगभग तैयार है। जल्द ही इसकी नीलामी की प्रक्रिया की जाएगी। चिन्हित क्षेत्र में 292 हेक्टेयर निजी भूमि पर खनिज का पता लगाने के लिए यह 2016 से 2020 के बीच प्रथम चरण का भू-वैज्ञानिक पूर्वेक्षण कराया गया। इसमें 231 हेक्टेयर क्षेत्र का पूर्वेक्षण जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की निगरानी में किया गया। 61 हेक्टेयर में खनिज के विस्तृत सर्वेक्षण कार्य के बाद डीजीएम (डायरेक्टेड ऑफ जियोलॉजी एंड माइनिंग) की ओर से राज्य शासन को इसकी जियोलॉजिकल रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। इस आधार पर अब ब्लॉक तैयार करके नीलामी की प्रक्रिया की जाएगी। पूर्वेक्षण कार्य में रिटायर्ड उपसंचालक केके रायखेरे, असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट मन्नू डामोर, डॉ. त्रिलोक सिंह पटले और उर्वशी गोंडगे शामिल थीं। भू-वैज्ञानिकों की टीम 2019 से 21 के बीच सौ-सौ हेक्टेयर के दो अन्य बॉक्साइट ब्लॉक का भी सर्वेक्षण कार्य पूरी कर चुकी है।
प्रदेश के सीमेंट उद्योग-व्यवसाय को नई गति मिलेगी
विशेषज्ञों के अनुसार बॉक्साइट व अन्य मिनरल का उपयोग पोर्टलैंड सीमेंट बनाने में किया ज्यादा जाता है। खनिज का यह भंडार प्रदेश के सीमेंट उद्योग-व्यवसाय को नई गति देगा साथ ही बॉक्साइट को प्रोसेस करने पर इसकी उच्च ग्रेड एल्युमिनियम कारखाने में काम लाई जा सकेगी। इससे न सिर्फ स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट खुल सकेंगी, बल्कि निर्यात की सम्भावना भी बढ़ेगी। बहुमूल्य खनिज की जितनी रॉयल्टी सरकार के खजाने में जमा होगी, उसका 30 प्रतिशत हिस्सा जिला मिनरल फंड के रूप में मिलेगा। इसे स्थानीय विकास कार्यों पर खर्च किया जाएगा। इससे इलाके की तस्वीर बदल जाएगी। प्रदेश में बॉक्साइट डिंडोरी के अलावा सतना, बालाघाट, जबलपुर व अन्य जगह भी मिलता है।
कैसे मिला ये खजाना
खनिज सम्पदा का पता लगाने के लिए डिंडोरी के चिन्हित क्षेत्र में 44 बोर बनाकर गहराई में खनिज का पता लागने की लम्बी कवायद की गई। आखिरकार लगभग 15 से 20 मीटर की गहराई में पांच मीटर मोटाई की बॉक्साइट परत का पता लगाने में सफलता मिली। इसे अच्छी ग्रेड का खनिज माना गया है। पूर्वेक्षण की प्रक्रिया यही नहीं रुकी। भीतरी परतों में बॉक्साइट के अलावा दो अन्य श्रेणी की खनिज सम्पदा का भी पता लगाया गया। बॉक्साइट के साथ निचली परतों में एल्युमेनस लैटेराइट और लैटेराइट की लाखों मीट्रिक टन मात्रा का अनुमान लगाया गया है।
मिलने वाले खनिज की स्थिति (61.00 हे.)
बॉक्साइट-1631194 मीट्रिक टन
एल्युमेनस लैटेराइट- 3316439.451 मीट्रिक टन
लैटेराइट- 268530.50 मीट्रिक टन
दमोह के सूखासतपारा गांव में लाइम स्टोन का भी मिला भंडार
उधर, दमोह जिले की पथरिया तहसील के सूखासतपारा गांव में खनिज विभाग को पहले से चल रही खदान के बगल में नए लाइम स्टोन के बड़े भंडार का पता चला है। विभाग के पूर्वेक्षण में इसका लगभग 220 हेक्टेयर क्षेत्र चिन्हित किया गया है। सतह से पचास से साठ फीट गहराई में लाइम स्टोन की 10 से 15 मीटर मोटाई की परत होने का अनुमान लगाया गया है। इसे सीमेंट ग्रेड और ब्लैडेबल ग्रेड का कैल्सियम ऑक्साइड आंका गया है, जो सीमेंट निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है।
सीमेंट ग्रेड - 35 मिलियन टन
ब्लेंडेबल ग्रेड - 23.96 मिलियन टन
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सर्वेक्षण के दौरान डिंडोरी में बॉक्साइट और दमोह में लाइम स्टोन के भंडार को खोजा गया है। इनके खनिज ब्लॉक तैयार करने के लिए भू-वैज्ञानिक प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इन खनिज ब्लॉक के ई-ऑक्शन की प्रक्रिया शासन स्तर से की जाएगी।
-संतोष कुमार पटले, क्षेत्रीय अधिकारी, खनिज साधन विभाग, जबलपुर