अब हिन्दी में भी होगी एमबीबीएस की पढ़ाई, जीएमसी से शुरू होगा पायलेट प्रोजेक्ट
प्रथम वर्ष के हिन्दी माध्यम के विद्यार्थियों के लिये 3 विषयों का होगा हिन्दी रूपांतरण
भोपाल, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई अब हिन्दी भाषा में भी होगी। यह सुविधा हिन्दी माध्यम से पढ़े हुए विद्यार्थियों के लिये सहायक सिद्ध होगी। इसके लिये हिन्दी में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के संबंध में गठित हिन्दी पाठ्यक्रम उच्च समिति की बैठक मंत्रालय में की गई। इसमें विषय-विशेषज्ञों से चर्चा की गई।
कार्य-योजना बनाकर विधिवत रूप से कार्य शुरू
मंत्री श्री सारंग ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा अनुरूप कार्य-योजना बनाकर विधिवत रूप से कार्य शुरू कर दिया है। इसके लिये हिन्दी दिवस पर घोषणा की गई थी कि इसी सत्र से विद्यार्थियों को यह सुविधा प्राप्त होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिन्दी में पढ़ाई का मतलब समानांतर रूप से हिन्दी माध्यम से पढ़े छात्रों को सहायता के तौर पर यह व्यवस्था की जा रही है। अंग्रेजी के साथ हिन्दी की किताबें भी उपलब्ध कराने की तैयारी है। श्री सारंग ने बताया कि हिन्दी प्रकोष्ठ का विधिवत गठन कर सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हैं।
किताबों का रूपांतरण व्यवहारिक पक्ष को ध्यान में रखकर
मंत्री श्री सारंग ने कहा कि गाँधी मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरूआत होगी। नवाचार के रूप में प्रथम वर्ष के 3 विषयों की किताबों का रूपांतरण व्यवहारिक पक्ष को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देवनागरी का उपयोग कर विद्यार्थियों को टूल और प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा की पढ़ाई जल्द और ज्यादा समझ में आती है। फ्रांस, जर्मन, जापान और चाइना अपनी भाषा में पढ़ाई कराते हैं।
फेकल्टी भी हिन्दी के सहायक शब्दों का करेगी उपयोग
मंत्री श्री सारंग ने बताया कि किताबों का वाल्यूम क्रमबद्ध होगा। सब वाल्यूम बनाकर अप्रैल-मई में पाठ्यक्रम की शुरूआत की जायेगी। कॉपीराइट का भी समुचित अध्ययन किया जा रहा है। इसका पालन सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज की फेकल्टी को भी हिन्दी में विद्यार्थियों को समझाते हुए क्लासेस लेने के निर्देश दिये गये हैं। तीन विषयों के लिये तीन वार-रूम बनाये जा रहे हैं। भोपाल में एनाटॉमी और बायो-केमेस्ट्री तथा इंदौर में फिजियोलॉजी का वार-रूम तैयार किया जायेगा। इसमें विषय के रूपांतरण के सत्यापन की जाँच होगी।
ऑडियो-वीडियो के माध्यम से भी होगी हिन्दी में पढ़ाई
मंत्री श्री सारंग ने बताया कि विद्यार्थियों की सुविधा के लिये हिन्दी लेक्चर के ऑडियो-वीडियो बनाकर यू-ट्यूब चैनल के माध्यम से उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जिसने इस नवाचार की शुरूआत की और आगे भी लागू करने में मध्यप्रदेश अग्रणी रहेगा।
चुनौतीपूर्ण लेकिन गौरवान्वित करने वाला कार्य
मंत्री श्री सारंग ने बैठक में कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे समय-सीमा में किया जाना है। इस कार्य में मध्यप्रदेश लीडर के रूप में काम कर रहा है, यह हमारे लिये गर्व की बात है। डॉ. अपूर्व पौराणिक, डॉ. मनोहर भंडारी और डॉ. अमिताभ वर्मा ने प्रेजेंटेशन दिया।
अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान, आयुक्त चिकित्सा शिक्षा श्री निशांत वरवड़े, संचालक चिकित्सा शिक्षा श्री जितेन्द्र शुक्ला सहित सभी मेडिकल कॉलेज के डीन और समिति के सदस्य उपस्थित थे।