सफेद भटकटैया, अति दुर्लभ पौधा, इसका मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं, जानिए इसका महत्व
धन के लालचियों से संकट में है इस दुर्लभ पौधे का वजूद
वैद्य रामलोटन कुशवाहा की बगिया में हो रहा संरक्षण
अति दुर्लभ प्रजाति वाला सफ़ेद कटेरी ( सफेद फूल वाली भटकटैया ) का पौधा।
arun singh
पन्ना। कंटीले भटकटैया के पौधे को भला कौन नहीं पहचानता। सड़क मार्गों के किनारे, अनुपयोगी पड़ी बंजर भूमि सहित हर कहीं यह नजर आ जाता है। लेकिन सफ़ेद कटेरी ( सफेद फूल वाली भटकटैया ) अति दुर्लभ पौधा है, जिसमें ढेरों औषधीय गुण होते हैं। हम जिस भटकटैया को जानते और देखते हैं उसे तो खरपतवार का दर्जा दिया जाता है, जबकि यह भी औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है। लेकिन सफ़ेद फूल वाली भटकटैया अत्यधिक दुर्लभ पौधा है, जिसका मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
जैव विविधता के संरक्षण व जागरूकता लाने के प्रयासों में वर्षों से सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे पद्मश्री बाबूलाल दाहिया बताते हैं कि यह सफेद कटेरी है जिसे हमारे इस क्षेत्र में भटकटैया भी कहा जाता है। अमूमन कटेरी (भटकटैया) का फूल बैगनी रंग का ही होता है, जिसका पौधा बहुतायत से पाया जाता है। लेकिन प्रकृति की रहस्यमयी बिचित्रता के चलते एकाध करोड़ बैगनी फूल की कटेरी में से ही एक दो सफेद फूलों की कटेरी भी जम आती है। लेकिन लालच और अन्धविश्वास ने इस दुर्लभ पौधे को विलुप्ति की कगार में पहुंचा दिया है। श्री दाहिया बताते हैं कि सदियों से चली आ रही अंध विश्वास भरी एक लोक मान्यता इसकी दुश्मन बनी हुई है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि जहॉ सफेद कटेरी का पौधा जमता है, उसके नीचे जमीन में गड़ा हुआ धन रहता है।
बस इसी अंधविश्वास के चलते जैसे ही प्रकृति की यह अनमोल धरोहर सफेद फूल वाली कटेरी दिखी, तो धन पिपाशु लोग वहाँ खोद कर फल बीज बनने के पहले ही इसे नष्ट कर देते हैं। धन तो मिलता नहीं पर यह दुर्लभ प्रजाति का औषधीय पौधा अवश्य नष्ट हो जाता है। आप बताते हैं कि हमारे मित्र वैद्य रामलोटन कुशवाहा बिगत 10 वर्षों से इस रेयरेस्ट एक वर्षीय पौधे को बचाने में लगे हुए हैं। आपको बता दें कि सतना जिले के किसान रामलोटन कुशवाहा की चर्चा बीते माह पीएम मोदी ने मन की बात में की थी। रामलोटन कुशवाहा ने अपनी बगिया में एक देशी म्यूजियम बनाया है। इस म्यूजियम में उन्होंने सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों का संग्रह किया है। इन्हें वो सुदूर क्षेत्रों से यहां लेकर आए हैं। इसके अलावा वे कई तरह की सब्जियां और औषधीय पौधे व जड़ी बूटियां भी उगाते हैं। रामलोटन की इस बगिया को लोग देखने आते हैं और उससे बहुत कुछ सीखते भी हैं।
धन पाने की लालच में इस अनोखे दुर्लभ पौधे को नष्ट करने वाले लोगों को यह समझना होगा कि सफेद फूल वाली भटकटैया के नीचे कोई खजाना गड़ा नहीं होता बल्कि इस पौधे का मिलना ही किसी खजाने के मिलने जैसा है। इसलिए सफ़ेद कटेरी (भटकटैया) जिस किसी को भी दिखे तो उसके नीचे धन खोजने के बजाय इस अति दुर्लभ पौधे का संरक्षण करें। भटकटैया, कटेरी, रेंगनी अथवा रिंगिणी सोलेनेसी कुल का पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम सोलेनम ज़ैंथोकार्पम है। श्री दाहिया बताते हैं कि रामलोटन कुशवाहा की बगिया में इसके फल के दानों को बोने पर कुछ वर्षों तक तो 75 प्रतिशत पौधे नीले फूल के ही हो जाते थे। क्यों कि परागण करने वाले कीटों के मुह में हो सकता है बैगनी फूलों वाली कटेरी के परागकण रहते रहे हों। किन्तु अब सभी पौधे सफेद फूल वाले ही होते हैं, पर लगता है प्रकृति इसे रेयरेस्ट ( दुर्लभ ) ही रखना चाहती है। क्यों कि इसके बहुत कम बीज जमते हैं।
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