मोहम्मद मोर्सी की मौत सरकारी लापरवाही का नतीजा

मोहम्मद मोर्सी की मौत सरकारी लापरवाही का नतीजा

काहिरा
मिस्र के पूर्व प्रेजिडेंट मोहम्मद मोर्सी की मौत कोर्ट में ट्रायल के दौरान हो गई थी। मोर्सी मिस्र के पहले राष्ट्रपति थे जो लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित हुए। हालांकि, 2013 में सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। पद से हटाने के बाद मोर्सी के ऊपर कई तरह के गंभीर आरोप जैसे प्रदर्शनकारियों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लेने समेत कई और गंभीर आरोप लगाए है। मोर्सी की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि वह लंबे समय से लिवर और किडनी की परेशानियों से जूझ रहे थे।


मोर्सी की मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार बता रहे मानवाधिकार संगठन
मानवाधिकार समूहों का आरोप है कि मोर्सी की मौत स्वाभाविक बीमारी के कारण नहीं हुई है। मिस्र में सैन्य शासन की स्थापना के बाद से अब्दुल फतह अल-सीसी के शासन के दौर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया जा रहा है। मोर्सी की मौत पर ह्यूमन राइट्स वॉच के साराह लिह विटसन ने कहा, 'पूर्व राष्ट्रपति मोर्सी की मौत का कारण पिछले कई साल से सरकार द्वारा उनके साथ बुरा बर्ताव करना रहा है। उन्हें लंबे समय तक सही इलाज से वंचित रखा गया, जरूरी चिकित्सा सुविधाएं नहीं दी गईं और परिवार और वकीलों से भी नियमित तौर पर मिलने नहीं दिया गया। इन सबका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ा।'

मोर्सी लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए प्रेजिडेंट थे
2010-11 में मिस्र में 30 साल से चली आ रही होस्नी मुबारक की सत्ता के खिलाफ संघर्ष हुआ और उन्हें सैन्य विद्रोह के बाद पद छोड़ना पड़ा। 11 फरवरी 2011 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया। मुबारक को 2012 में जेल भेज दिया गया और 2017 में वह जेल से रिहा हो गए। मिस्र में हुए चुनावों में मुस्लि ब्रदरहुड के प्रमुख नेता मोर्सी का संगठन जीत गया और वह प्रेजिडेंट बने। मोर्सी के बारे में माना जाता है कि उनके अमेरिका और इजरायल से बेहतर संबंध थे। हालांकि, मिस्र में इसका विरोध शुरू हो गया और 2013 में उन्हें पद से हटाकर सैन्य शासन की स्थापना हो गई।

मिस्र के मौजूदा शासक अल-सीसी को सऊदी अरब और यूएई का समर्थन मिला है और यह दोनों ही देश ब्रदरहुड के विरोधी हैं। ब्रदरहुड ने मिस्र में राजशाही को खत्म करने के लिए संघर्ष किया था। हालांकि, ट्रंप प्रशासन भी ब्रदरहुड को बैन करने के पक्ष में हैं, जबिक बहुत सी संस्थाओं का कहना है कि ब्रदरहुड ने कोई अपराध नहीं किया, इसे बैन करना ठीक फैसला नहीं है। मोर्सी पर लगाए गए बहुत से आरोपों में से एक है कि उन्होंने कतर को देश से महत्वपूर्ण राज बेच दिए।