जलाभिषेक पर प्रतिबन्ध, प्रबंध व मंडल आमने-सामने
मंदसौर
श्रावण मास आने को है, इस पावन माह में शिवभक्त अपने आराध्य देव शिव को मनाने के लिए तरह - तरह के जतन करेंगे। ऐसे में शिवभक्तों के लिए प्रबंध समिति की ओर से उनके इरादों पर पानी फेरने वाली खबर आई थी। जिसको लेकर पशुपतिनाथ प्रबंध समिति ओर प्रातः काल आरती मंडल आमने- सामने हो गए है। वहीं मंडल द्वारा कई बार निवेदन करने के बाद भी प्रबंध समिति अपने निर्णय पर अटल है जिसके कारण दोनों की ये लड़ाई अब सड़क पर आ गई है और मंडल ने धरने का सहारा लिया है| जिसमें उन्होंने प्रबन्ध समिति पर कई बड़े आरोप लगाए है जिसको सुनकर समिति के खिलाफ शिवभक्तों में काफी नाराजगी है| ये सब इस लिए हो रहा है क्योंकि प्रबन्ध समिति ने भगवान शिव पर जल चढ़ाने से मना कर दिया है| वैसे तो ये व्यवस्था कई समय से चल रहीं है किंतु शिवभक्तों को सावन मास में जल चढ़ाने की इजाजत दी जाती है जो इस साल से बंद कर दी गई है। जिसको लेकर मंडल विरोध जता रहा है साथ ही कई बड़े आरोप भी लगा रहा है|
मंडल का अपने इन आरोपों को लेकर कहना है कि भगवान शिव सबके है तो फिर उन पर क्यो नहीं जल चढ़ाने दिया जा रहा है वो भी सावन के महीने में । जबकि इस माह में तो भगवान शिव का जल से अभिषेक किया जाता है जिससे वो प्रसन्न होते है भक्तो को मन वाँछिक फल देते है ऐसे में भक्तों को भगवान से दूर करना कहा का न्याय है | इस ओर विचार करते हुए इस निर्णय को वापस लेना चाहिए। इसी के साथ कहा कि प्रबन्ध समिति शिवभक्तों के साथ छलावा कर रही है। वह भी भूतभावन भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के सामने स्तरलिंग जी का मंदिर बनवा रहे है। जिसकी मूर्ति भी माँ शिवना के अंदर से निकली थी । जो खण्डित है । उस खण्डित मूर्ति के लिए मंदिर बनाया जा रहा है जो सरासर गलत है | वहीं जीके सारस्वत के समय भगवान पशुपतिनाथ मंदिर निर्माण के लिए मनोकामना अभिषेक कराया था जिसके माध्यम से करोड़ो रूपए एकत्र किए गए थे जिसका उपयोग पशुपतिनाथ के मंदिर निर्माण में न करते हुए इस पैसो को स्तरलिंगजी के मंदिर निर्माण में जो प्रबंध समिति के भ्रष्टाचार को उजागर करता है वह भी 4 करोड़ से बनाया जा रहा है जो गलत है| इस मंदिर के निर्माण को लेकर प्रबन्ध समिति इतनी उतावली क्यों है जो अबतक किसी के समझ में नहों आ रही है|