मिशन चंद्रयान-3 की सफलता में मप्र के लोगों ने निभाई है बड़ी भूमिका, जानिए उनके बारे में

मिशन चंद्रयान-3 की सफलता में मप्र के लोगों ने निभाई है बड़ी भूमिका, जानिए उनके बारे में

भोपाल, चंद्रयान-3 की सफलता  के बाद पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के बाद देश को यह कामयाबी मिली है। मिशन चंद्रयान-3 के सफल होने में एमपी के चार लोगों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। चंद्रयान-3 के चांद पर पहुंचने के बाद इनके परिवार को अपने बेटों की उपलब्धियों पर गर्व है। मध्यप्रदेश के छोटे जिलों से आने वाले इन लोगों ने सफलता की बड़ी लकरी खींची है। बालाघाट के महेंद्र ठाकरे, सतना के ओम पांडे, उमरिया के प्रियांशु मिश्रा और रीवा के तरुण सिंह शामिल हैं।

16 साल से इसरों में काम कर रहे हैं बालाघाट के महेंद्र ठाकरे
चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद पूरे मध्यप्रदेश में जश्न का माहौल है। ढोल नगाड़ों के साथ जगह-जगह पर आतिशबाजी हो रही है। वहीं, मिशन से जुड़े परिवारों में भी जश्न है। एमपी नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में बड़ी भूमिका निभाई है। महेंद्र ठाकरे बिरसा तहसील के कैंडा टोला के रहने वाले हैं। वह इस मिशन में प्रोजेक्ट हेड के रूप में जुड़े थे। इसरो में काम करने का उनके पास 16 सालों का अनुभव है। महेंद्र ठाकरे की शुरुआती पढ़ाई लिखाई बिरसा में हुई है।

सतना के ओम पांडे की भूमिका भी बड़ी
इसके साथ ही सतना जिले के युवा वैज्ञानिक ओम पांडे की भी इसमें बड़ी भूमिका थी। ओम पांडे चंद्रयान-3 में प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में जुड़े हुए थे। उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीटेक किया है। ओम पांडे सतना के लिए करसरा गांव के रहने वाले हैं। पिता रिटायरमेंट के बाद गांव में रहती हैं। ओम ने पांच साल पहले इसरो ज्वाइन किया था। तब से वह इसरो के साथ काम कर रहे हैं।

उमरिया के प्रियांशु ने इसरो के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में काम किया 
वहीं, चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल टीम में उमरिया के प्रियांशु मिश्रा शामिल हैं। प्रियांशु चंद्रयान-2 की टीम में भी शामिल रहे हैं। उमरिया जिले के चंदिया कस्बे में प्रियांशु मिश्रा का जन्म हुआ है। इसरो में वैज्ञानिक के रूप में उनका चयन 2009 में हुआ था। इस दौरान उन्होंने इसरो के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में काम किया है। 2017 में यंग साइंटिस्ट मेरिट का अवॉर्ड भी उन्हें मिला था।

रीवा के लाल तरुण सिंह, चंद्रयान-3 से आ रही तस्वीरों की निगरानी का जिम्मा 
वहीं, चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में रीवा के लाल तरुण सिंह ने भी बड़ा कमाल किया है। वह सीनियर साइंटिस्ट के रूप में मिशन से जुड़े हुए थे। चार साल पहले तरुण सिंह ने इसरो के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी। चंद्रयान-3 से आ रही तस्वीरों की निगरानी का जिम्मा तरुण सिंह के पास ही है। उनकी शुरुआती पढ़ाई रीवा सैनिक स्कूल से हुई है। सफलता पर पूरे परिवार को गर्व है।

बालाघाट में पले-बढ़े प्रमोद सोनी ने सफल लैंडिंग में नेविगेटर की भूमिका 
बालाघाट में पले-बढ़े प्रमोद सोनी ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में नेविगेटर यानी मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है। प्रमोद ने अपनी 12वीं तक की शिक्षा बालाघाट के कटंगी तहसील से पूरी की थी। उनके पिता नीलकंठ सोनी पीडब्ल्यूडी विभाग से एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद उनका परिवार सिवनी में बस गया।

चंद्रयान-3 की सफलता में प्रमोद और उनकी लाइट डायनामिक टीम की अहम भूमिका रही है। नईदुनिया से चर्चा में प्रमोद ने बताया कि वह इसरो में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर हैं। उनकी टीम का काम चंद्रयान-3 की दिशा के बारे में जानकारी देना था।

सोशल मीडिया पर देखें खेती-किसानी और अपने आसपास की खबरें, क्लिक करें...

- देश-दुनिया तथा खेत-खलिहान, गांव और किसान के ताजा समाचार पढने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म गूगल न्यूजगूगल न्यूज, फेसबुक, फेसबुक 1, फेसबुक 2,  टेलीग्राम,  टेलीग्राम 1, लिंकडिन, लिंकडिन 1, लिंकडिन 2टवीटर, टवीटर 1इंस्टाग्राम, इंस्टाग्राम 1कू ऐप से जुडें- और पाएं हर पल की अपडेट