झाबुआ में बड़ी मात्रा में मिला अवैध विस्फोटक, फिर याद आया पेटलावद ब्लास्ट
noman khan
झाबुआ, पेटलावद। 12 सिंतबर 2015 को हुए पेटलावद में ब्लास्ट में सबसे बड़ी वजह अवैध रूप से रखे गए जिलेटिन और डेटोनेटर छड़ थी। जिसके कारण इतनी बड़ी त्रासदी हुई, लेकिन इस त्रासदी के बाद भी कोई भी सबक लेने को तयार नहीं है और आज भी पूरा अंचल बारूद के ढेर पर बैठा है। 6 साल पुरानी इस घटना को जिलेटिन और डिटोनेटर का धंधा करने वाले लोगों ने भुला दिया है और फिर से वे लोगो की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ताजा मामला पेटलावद नगर में ही सामने आया। जहां वार्ड क्रमांक 10 के कुम्हार मोहल्ले में रहने वाले अब्दुल हमीर मंसूरी नाम के व्यक्ति ने अपने घर पर अवैध रूप से जिलेटिन और डिटोनेटर की छड़े रख रखी थी।
छापा मारकर 28 जिलेटिन और 28 डिटोनेटर छड़ जब्त
इसकी भनक जब पुलिस को मुखबीर तंत्रों से लगी तो पुलिस ने फौरन ताबड़ तोड़ छापामार कार्रवाई की और उसके यहां रखी 28 जिलेटिन और 28 डिटोनेटर छड़ों को सुरक्षित जब्त कर पुलिस थाने लाया गया। एसडीओपी सोनू डावर और टीआई संजय रावत ने बताया पुलिस ने हमीर मंसूरी के खिलाफ भारतीयदंड संहिता 1860 की धारा 286, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 4 और 5 व विस्फोटक अधिनियम 1884 की धारा 9 ख के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। यह डिटोनेटर और जिलेटिन की छड़े उसने किससे और कब खरीदी इसकी जांच की जा रही है। पुलिस आरोपी को न्यायालय में पेश करने के बाद पीआर की मांग करेगी, ताकि इस अवैध धंधे में ओर कौन लोग शामिल हैं, उनका पता लगाया जा सके। फिलहाल इस बड़ी कार्रवाई के बाद ऐसा लगता है कि इस क्षेत्र को इन अवैध बारुद रखने वालों द्वारा मौत के करीब धकेला जा रहा है।
जानकारी किसी के पास नही
सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे क्षेत्र में जिलेटिन और डिटोनेटर छड़ों का कहां कितना प्रयोग हो रहा है। किसी के पास कोई जानकारी नहीं हैं। इस क्षेत्र से जुड़े जानकारों से पूछताछ की तो पता चला कि लाइसेंस दो प्रकार के होते हैं। एक लाईसेंस विक्रेता का होता है जो गोदाम मैगजीन में विस्फोटक रखते हैं। ये गोदाम आबादी क्षेत्र से दूर हाते हैं। इनकी जिम्मेदारी लाईसेंसी उपयोगकर्ता को विक्रय करने तक की है। दूसरे लाईसेंस उपयोगकर्ता यानि ब्लास्टिंग करने वालो के होते हैं। ये लोग ही गोदाम से आवश्यकतानुसार डेटोनेटर लेते हैं। विस्फोटक अधिनियम संशोधित नियम 2008 के अनुसार नियम ये है कि जो ब्लास्टिंग लाईसेंस धारी गौदाम से जितेने डेटोनेटर लेता है, वह उसी दिन उपयोग होना चाहिए। यदि उसमें से कुछ बचते हैं तो शाम को ही गोदाम में जमा करवाने पड़ते है। इन्हें घर या आबादी क्षेत्र में नहीं रख सकते।
रहवासी इलाकें में हमीर मंसूरी ने अपने घर में ही एकसाथ रख रखे थे
यदि गोदाम दूर है या उसी रात नहीं पहुंच सकते तो आबादी से दूर कहीं खुले में रख सकते है, लेकिन पेटलावद में मिले 28 डेटोनेटर और जिलेटिन की छड़े पिछले कई दिनों से रहवासी इलाकें में हमीर मंसूरी ने अपने घर में ही एकसाथ रख रखे थे। जिससे पूरे मोहल्लेवासियों की जान दांव पर लगी हुई थी।
केवल तीन लाइसेंस वैध पाए गए, करोड़ों का है यह अवैध कारोबार
पेटलावद ब्लास्ट के बाद यहां सभी तरह के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए थे। केवल तीन लाइसेंस वैध पाए गए। थोडे दिनों बाद ही अवैध रूप से यह कारोबार चल पडा था। लगभग 1 करोड का अवैध कारोबार जिले में हो रहा है। लगभग 200 लोग इस कारोबार से जुडे हुए हैं। अवैध रूप से कहीं भी माल रख दिया जाता है। ऐसे में एक बार फिर पेटलावद घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है। शर्मनाक ये है कि ये सारा गोरख धंध सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस और प्रशासन की जानकारी में फल-फूल रहा है, विस्फोट के इस गोरख धंधे में जहां ऐसे अवैध व्यवसायियों की फौज तैयार हो रही है, जिसमें कई रसूखदार और कइ सफेद पोश शामिल है। आज आलम ये है कि सारे विस्फोटक यहां के खनन क्षेत्र में बेचे जा रहे है, न सिर्फ बेचे जा रहे है, बल्कि इनकी क्षमता से अनभिज्ञ मजदूरों से इनका इस्तेमाल भी करवाया जा रहा है। सूत्र बताते है कि 12 सितंबर 2015 को हुए ब्लास्ट उसमें हुई 79 बेकसूरों की मौत और 100 से अधिक घायल के बाद भी समूचे अंचल में जिलेटिन छड़ों के जरिए ब्लास्टिंग करके पत्थरों को तोड़ने और कुओं, नहरों के बनाने का काम जारी है। सबसे बड़ी बात यह है कि गुजरात और राजस्थान से अंचल के भीतर विस्फोटक सामग्री की खेप आती है। सबसे सस्ता विस्फोटक होने के साथ ही यह ज्यादा खतरनाक भी होता है।
एक पेटी में 200 रॉड जिलेटीन की और 200 इलेक्ट्रो डेटोनेटर रहता है
खदानों में विस्फोट करने के लिए कारोबारी इडी यानि इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर और जिलेटिन का इस्तेमाल करते है। कायदा यह है कि जिसके पास एक्सप्लोजिव लाइसेंस है, उससे शॉर्ट फायर लाइसेंस धारी सामग्री लेते हैं। एक पेटी में 200 रॉड जिलेटीन की और 200 इलेक्ट्रो डेटोनेटर रहता है। दोनों को साथ मिलाकर विस्फोट किया जाता है। अवैध रूप से ही माल लेकर ब्लास्टिंग करते हुए अपना धंधा यहां हर कोई चलाने में लगा हुआ है। ऐसे में मेक्जिन लाइसेंस धारी 3 हजार की एक पेटी को 5-10 हजार रुपए तक में बेचता है। अपने माल की खपत को कहीं भी बता देता है। 1 करोड़ के कारोबार में लगभग 20-25 लाख रुपए में हर स्तर पर संरक्षण मिल जाता है।
प्रशासन को जानकारी ही नहीं
ग्रामीण क्षेत्र में खदानों व कुओं में बारूद लगाने वाले कई व्यापारी हैं, लेकिन प्रशासन के पास जानकारी ही नहीं है। कुएं गहरे करने और खदानों में पत्थर निकालने के दौरान बचने वाला बारूद ये अपने पास रख लेते हैं। फिर किसानों को मुंह मांगे दामों पर बेचते हैं। पेटलावद से पकड़े गए व्यक्ति का भी यही काम था। कायदा यह है कि जिले में आने वाले समस्त माल की जानकारी एसडीएम व थाने पर होना चाहिए। खपत व बचत पर भी निगाह होना चाहिए।
क्या है नियम
महीने में पांच किलो से ज्यादा विस्फोटक का प्रयोग नहीं कर सकते।
साल में सिर्फ 60 किलो विस्फोटक का प्रयोग करने की अनुमति।
इससे ज्यादा मात्रा में विस्फोटक का प्रयोग करने पर कार्रवाई का प्रावधान।
पुलिस, जिला प्रशासन या खनिज विभाग में कौन करेगा कार्रवाई तय नहीं।
क्या है हकीकत
विकासखण्ड में विस्फोटक पदार्थ का उपयोग करने वाले कितने व्यापारी है, प्रशासन को नहीं पता। पेटलावद ब्लास्ट के बाद विस्फोटक पदार्थ बेचने वालों की खंगाली गई थी कुंडली, जिला प्रशासन की नींद टूटी थी और जांच की बात कही, लेकिन बाद में सब भूल गए और तेजी से यह व्यापार फलने-फूलने लगा।