गौशाला संचालकों के साथ मुख्य सचिव की बैठक, बैठक में 150 से अधिक गौशाला संचालक हुए शामिल
जयपुर। प्रदेश में गोवंश संरक्षण, गौशालाओं के सुदृढ़ संचालन तथा गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास की अध्यक्षता में शनिवार को सचिवालय में गौशाला संचालकों और पशुपालन तथा गोपालन विभाग के अधिकारियों की बैठक आयोजित हुई। बैठक में शासन सचिव पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य डॉ. समित शर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्य सचिव ने गौशाला संचालकों का स्वागत करते हुए कहा कि गोवंश संरक्षण और आत्मनिर्भर गौशाला राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। इसलिए गोशालाओं को आत्मनिर्भर, पारदर्शी और सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गौशाला और गौवंश मुख्यमंत्री के प्रिय विषय हैं और इस संबंध में समय-समय पर उनका मार्गदर्शन मिलता रहता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ आयुर्वेद के साथ इनके जुड़ाव के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएं। उन्होंने गौमूत्र और गोबर से बेहतर लाभ प्राप्त करने और सीएसआर के तहत अधिक से अधिक भामाशाहों को गौशाला से जोड़ने के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौशालाओं के अनुदान की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए। उन्होंने एक पोर्टल बनाने के भी निर्देश दिए जिस पर गौशाला के निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट डाली जाए। उन्होंने मोबाइल वेटरिनरी यूनिट की गौशालाओं के लिए बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।
मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि गोशालाओं के साथ सतत संवाद बनाए रखा जाए तथा उनकी समस्याओं का समयबद्ध समाधान किया जाए ताकि प्रदेश में मुख्यमंत्री की मंशानुरूप गौवंश संरक्षण को और अधिक सशक्त बनाया जा सके। मुख्य सचिव ने गौशाला संचालकों से गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुझाव मांगे और उनसे संवाद भी किया। उन्होंने लाभार्थियों के फीडबैक लेने के भी निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने गौशालाओं मे वित्तीय अनुशासन, रिकार्ड संधारण तथा सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया।
बैठक में शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री का विशेष निर्देश है कि गायों के पोषण, रखरखाव और उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाए। इसके लिए गौशालाओं के मासिक निरीक्षण की व्यवस्था की जा रही है। महीने के पहले सप्ताह में सभी गौशालाओं में जाकर एक निरीक्षण दल वहां की व्यवस्थाओं को देखेगा और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। उस रिपोर्ट के आधार पर गौशालाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए योजना बनाकर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वहां संधारित गौवंश में से प्रजनन योग्य गौवंश को अलग कर उन्हें दूध देने लायक बनाने के प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए सेक्स सॉर्टेड सीमन के माध्यम से उनका ए आई किया जाए जिसमें 90 प्रतिशत बछड़ियां होती हैं। शासन सचिव ने एक प्रस्तुति के माध्यम से प्रदेश की आदर्श गौशालाओं का प्रदर्शन भी किया।
इस दौरान गोवंश के रखरखाव पोषण, स्वास्थ्य संरक्षण, चारा उपलब्धता से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई । बैठक में गोपालन विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं, अनुदान व्यवस्था तथा आगामी कार्ययोजना के बारे में जानकारी दी गई।
बैठक में पशुपालन, गोपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा 150 से भी अधिक संख्या में गौशाला संचालक उपस्थित थे। जिला अधिकारियों और जिलों के गौशाला संचालकों ने बैठक में वी सी के माध्यम से भाग लिया।

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