सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए देवनानी ने कहा कि अब कोई नहीं कर सकेगा राष्‍ट्र नायकों का अपमान

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए देवनानी ने कहा कि अब कोई नहीं कर सकेगा राष्‍ट्र नायकों का अपमान

एसोसिएशन ऑफ स्‍माल एण्‍ड मीडियम न्‍यजपेपर्स ऑफ इण्डिया के 31वें राष्‍ट्रीय अधिवेशन और पांच दशक तक पत्रकारिता करने वाले वरिष्‍ठ पत्रकारों का अभिनन्‍दन समारोह पत्रकारिता जनतंत्र की नींव: विधानसभा अध्यक्ष

जयपुर। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि अब कोई भी राष्‍ट्र नायकों का अपमान नहीं कर सकेगा। उन्‍होंने कहा कि कुछ दलों के नेतागण ने देश के नायकों के अपमान का सिलसिला जारी रख एक माहौल बनाने की कोशिश की थी। ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुंह तोड जवाब मिला है। देवनानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केन्‍द्र में रखते हुए कहा कि कुछ लोगों ने नई पीढी के सामने नायकों के प्रति अश्रृदधा का भाव रखा। उन्‍होंने कहा कि देश के लिए त्‍याग और बलिदान करने वाले नायक सभी लोगों के लिए आदरणीय है। वीर सावरकर ने अण्‍डमान एवं निकोबार में राष्‍ट्र के लिए यातनाएं सहन की थी। वहीं राणा सांगा ने राष्‍ट्र के लिए अपने शरीर में अस्‍सी घाव झेले थे।

देवनानी ने कहा कि नई पीढी को स्‍वतंत्रता सैनानियों के त्‍याग और बलिदान के बारे में बताना होगा। उन्‍होंने कहा है कि वीर सावरकर महान राष्‍ट्र भक्‍त थे। उन्‍होंने अभिनव भारत नामक एक क्रांतिकारी संगठन बनाया था। विदेशी वस्‍त्रों की होली जलाई थी। वे ऐसे लेखक थे, जिनकी पुस्‍तक को प्रकाशित होने से पहले ही ब्रिटिश साम्राज्‍य की सरकारों ने प्रतिबन्धित कर दिया था। उन्‍होंने कहा कि देश के नायकों के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए। राष्‍ट्र नायकों का अपमान देश कभी सहन नहीं करेगा। स्‍वतंत्रता सैनानियों की जीवनी और उनके द्वारा स्‍वतन्‍त्रता आन्‍दोलन में दिये गये योगदान के बारे में समाचार पत्रों को आलेख प्रकाशित करने चाहिए, ताकि लोग उनको समझ सके। राष्‍ट्र नायक भावी पीढी के आदर्श बन सके।  देवनानी ने कहा कि राजस्‍थान सरकार में शिक्षा मंत्री के दायित्‍व के दौरान उन्‍होंने वीर सावरकर को पाठ्यक्रम में जोडा था।

देवनानी शनिवार को कॉन्स्टिट्यूशन क्‍लब ऑफ राजस्‍थान के सभागार में एसोसिएशन ऑफ स्‍माल एण्‍ड मीडियम न्‍यजपेपर्स ऑफ इण्डिया के 31वें राष्‍ट्रीय अधिवेशन और पांच दशक तक पत्रकारिता करने वाले वरिष्‍ठ पत्रकारों के अभिनन्‍दन समारोह को सम्‍बोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर समारोह का शुभारम्‍भ किया। देवनानी ने समारोह में 28 वरिष्‍ठ पत्रकारों को सम्‍मानित किया। समारोह के आरम्‍भ में पहलगाम की घटना में दिवंगत हुए लोगों के लिए मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

देवनानी ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्‍तम्‍भ और जनतंत्र की नींव है। आजादी के आन्‍दोलन और आपातकाल में समाचार पत्रों ने मिशन के तौर पर कार्य किया। लोगों के भाव जागृत किये, मुद्दे उठाए जिनके आधार पर आज लोकतंत्र चल रहा है। आज के बदलते डिजिटल दौर में भी प्रिन्‍ट मीडिया का अपना महत्‍व है। समाचार पत्रों के सम्‍पादकीय पृष्‍ठ नई पी‍ढी को आगे बढाने में बेहतर भूमिका निभाते है।    

देवनानी ने कहा कि लघु और मध्‍यम समाचार पत्रों के सामने अनेक चुनौतियां है, जिनका उन्‍हें मुकाबला करना होगा। उन्‍होंने कहा कि पारदर्शी निष्‍पक्ष विज्ञापन नीति को अपनाने की जरूरत है। इसके लिए वे राज्‍य सरकार और केन्‍द्र सरकार को लघु एवं मध्‍यम समाचार पत्रों के लिए आवश्‍यक बिन्दुओं के बारे में अवगत कराएंगे। देवनानी ने कहा कि समाचार पत्रों को राष्‍ट्रभक्ति और सनातन संस्‍कृति के साथ आगे बढना चाहिए।

विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि देश में विचित्र परिस्थितियों के साथ अनायस हमले ने भारत माता को चुनौती दी है। भारत हर चुनौती का मुकाबला करता रहा है। अब भी भारत चुनौतियों पर विजयी रहेगा और भारत माता की जय विश्‍व में गूंजेगी। उन्‍होंने कहा कि पत्रकारिता की साख को बढाने के लिए पत्रकारों ने ईमानदारी से कार्य किया है। राजस्‍थान की पत्रकारिता गौरवशाली रही है। छोटे अखबारों के पत्रकार भी पत्रकारिता के आदर्श है। समारोह को एसोसिएशन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष केशव दत्‍त चंदोला, राष्‍ट्रीय महामंत्री शंकर कतीरा, प्रदेश अध्‍यक्ष गोपाल गुप्‍ता, वरिष्‍ठ पत्रकार प्रवीण चन्‍द छाबडा ने भी सम्‍बोधित किया। समारोह में देवनानी ने एसोसिएशन की स्‍मारिका कलम कुम्‍भ और अनुराग शर्मा का काव्‍य संग्रह गूंजता एकांत का विमोचन किया।

पांच दशक की पत्रकारिता करने वाले सम्‍मानित वरिष्‍ठ पत्रकार – प्रवीण चन्‍द छाबडा, विनोद भारद्वाज, सुधीन्‍द्र पटेल, रामस्‍वरूप सोनी, एस.सी.जैन, देववृत शर्मा, आर.के.जैन राधेश्‍याम, ओम सैनी, गोपाल गीतेश, आनन्‍द शर्मा, बृहस्‍पति शर्मा, पदम मेहता, गुलाब बत्रा, प्रकाश भण्‍डारी, सत्‍य पारीक, सत्‍यनारायण शर्मा, आशा पटेल, एल.सी. भारतीय, जगदीश शर्मा, महेश शर्मा, महेश झालानी, अजय ढढडा और हरि सिंह सोलंकी।

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