एनआरएचएम की 2850 पदों की भर्ती में आरक्षण का पेंच
दलील: शिकायत के बाद छवि को हटाकर प्रियंका को बनाया गया संचालक
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, एनआरएचएम अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के 2850 पदों पर की गई नियुक्तियों को विचाराधीन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया। इसी के साथ केंद्र व राज्य शासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन व प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर को निर्धारित की गई है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत सामुदायिक स्वाथ्य अधिकारी के 2850 पदों पर की गई नियुक्तियों की प्रक्रिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के 13 फीसद पदों को होल्ड कर अभिमत के आधार पर 14 फीसद के बजाए छह फीसद आरक्षण दिया गया।
इसी तरह ईडब्ल्यूएस आवेदकों को 10 फीसद आरक्षण प्रविधान के स्थान पर 22.8 फीसद आरक्षण दिया गया। इसी रवैये के खिलाफ 13 मई, 2021 को जारी विज्ञापन की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। इस विज्ञापन में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए महज 189 पद ही आरक्षित किए गए हैं, जो कि कुल निर्धारित पदों 2850 के अनुपात में 6.6 फीसद होता है। बहस के दौरान यह दलील भी दी गई कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्वाज को शिकायतों के बाद ही हटाकर प्रियंका दास को नया संचालक बनाया गया है।