शंकराचार्य को सोमवार की शाम चार बजे परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि

शंकराचार्य को सोमवार की शाम चार बजे परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि

नरसिंहपुर। ज्योतिष व द्वारिकाशारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार दोपहर तीन बजकर 21 मिनट पर 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। शंकराचार्य लंबे समय से बीमार थे और वह अपनी तपस्थली गोटेगांव तहसील के ग्राम झौंतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में ही प्रवासरत थे, जहां उन्होंने अपने शिष्यों के साथ चातुर्मास किया था और हरितालिका पर्व पर उनका 99वां जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया था। आश्रम प्रबंधन के अनुसार शंकराचार्य के निधन के बाद समाधि कार्यक्रम सोमवार की शाम चार बजे परमहंसी गंगा आश्रम में होगा। शंकराचार्य के निधन की खबर से संपूर्ण क्षेत्र में शोक का माहौल है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है।

जीवन- परिचय
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात दो सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश राज्य के सिवनी जिले में दिघोरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री धनपति उपाध्याय और मां का नाम श्रीमती गिरिजा देवी था। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा।

स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग शास्त्रों की शिक्षा ली
नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्राएं प्रारंभ प्रारंभ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग शास्त्रों की शिक्षा ली, यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी।

19 वर्ष की उम्र में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए
जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 वर्ष की उम्र में वह क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्यप्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी।

1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली
वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे, उन्होंने वर्ष 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दंड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से जाने जाने लगे, उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। शंकराचार्य ने रामसेतु की रक्षा, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने, श्रीराम जन्मभूमि के लिए लंबा संघर्ष किया।वे गोरक्षा आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद के प्रथम अध्यक्ष रहे।

शंकराचार्य के निधन से सर्वत्र शोक
शंकराचार्य के निधन पर सर्वत्र शोक की लहर है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ट्वीट कर शंकराचार्य के निधन को धर्म जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति बताया है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ट्वीट में कहा है कि शंकराचार्य के देवलोग गमन का समाचार बेहद दुखद व पीड़ादायक है। अभी कुछ दिनों पहले ही उनके 99वें प्राकट्योंत्सव व शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल होकर उनके श्रीचरणो में नमन कर उनका आशीर्वाद लिया था।

सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं संन्यास परंपरा के सूर्य: मुख्यमंत्री 
मुख्यमंत्री श‍िवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि भगवान शंकराचार्य द्वारा स्थापित पश्चिम आम्नाय श्रीशारदापीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्राणांत की सूचना अत्यंत दु:खद है। पूज्य स्वामी जी सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं संन्यास परंपरा के सूर्य थे।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने बेहद दुखद व पीड़ादायक 
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने ट्वीट कर कहा कि परम पूज्य ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी शंकराचार्य सरस्वती जी के देवलोक गमन का समाचार बेहद दुखद व पीड़ादायक है। अभी कुछ दिन पूर्व ही उनके 99वें प्राकट्योत्सव एवं शताब्दी प्रवेश वर्ष महोत्सव में शामिल होकर उनके श्रीचरणो में नमन कर उनका आशीर्वाद लिया था।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी ने उनका अवसान धर्म जगत के लिए बड़ी क्षति 
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी ने ट्वीट कर कहा कि ज्योतिर्मठ एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के देवलोक गमन का दु:खद समाचार मिला। उनका अवसान धर्म जगत के लिए बड़ी क्षति है। ईश्वर दिवंगत पुण्यात्मा को अपनी श्रीचरणों में विश्रांति प्रदान करें। पूज्य शंकराचार्य जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन।

गंगा कुंड स्थल पालकी पर सवार कर भक्तों द्वारा ले जाया गया
ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज की देह को मणिदीप आश्रम से गंगा कुंड स्थल पालकी पर सवार कर भक्तों द्वारा ले जाया जा रहा है। जहां पर सभी भक्तजनों को दर्शन होंगे। भारी संख्या में यहां श्रद्धालु मौजूद हैं। परमहंसी में कई स्थानों से लोगों का आना शुरू हो गया है।

लंबे समय से बीमार थे
स्‍वामी स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती लंबे समय से बीमार थे। नरसिंहपुर जिले की झोतेश्‍वर पीठ के परमहंसी गंगा आश्रम में उन्‍होंने अंतिम सांस ली।
पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अनेक वरिष्‍ठ नेता उनके अनुयायी थे। स्‍वामी स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती अपनी बेबाक बयानी के लिए भी जाने जाते थे। उनके निधन की खबर से संत समाज में भी शोक छा गया ।