khemraj morya
शिवपुरी। सिंधिया परिवार के मजबूत जनाधार वाली गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा किंकर्तव्यविमूढ बनी हुई है। उसे समझ में नहीं आ रहा कि सिंधिया की चुनौती को ध्वस्त करने के लिए वह किसे टिकट दे। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट से चार बार चुनाव लड़कर जीत चुके हैं और भाजपा ने उन्हेें हराने के लिए चारों बार अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल किया है। लेकिन उसे सफलता हांसिल नहीं हुई है। सांसद सिंधिया के पूर्व अनेकों बार उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया और दादी स्व. राजमाता विजयराजे सिंधिया जीत चुकी हैं। सिंधिया परिवार को इस सीट पर प्रतिकूल से प्रतिकूल स्थिति में भी कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।

विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत का लक्ष्य केन्द्रित किया था और कहा था कि वह इस बार गुना और छिंदबाड़ा की सीटें भी जीतेंगे जो कांग्रेस की परम्परागत सीटेें मानी जाती हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद भाजपा एक कदम पीछे हटी है और उसने जीत के लक्ष्य को 29 से कम कर 27 सीटों पर केन्द्रित कर दिया है। अर्थात वह मान रही है कि कम से कम छिंदबाड़ा और गुना सीटें उसकी पहुंच से बाहर हैं। लेकिन ऑन दी रिकॉर्ड भाजपा नेताओं का कहना है कि गुना और छिंदबाड़ा सीट पर विशेष रणनीति बनाई जा रही है। अपुष्ट खबरों के अनुसार भाजपा इन सीटों पर अपने प्रभावशाली नेताओं को उतारने पर गंभीरता से विचार कर रही है। ताकि सिंधिया और कमलनाथ की घेराबंदी की जा सके। जहां तक छिंदबाड़ा सीट का सवाल है तो यह माना जा रहा है कि कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस इस सीट पर उनकी पत्नी अथवा पुत्र नकुलनाथ को टिकट दे सकती है। लेकिन गुना सीट पर सिंधिया का चुनाव लडऩा निश्चित है। विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग की 34 सीटों में से 26 सीटों पर कांग्रेस की विजय से सिंधिया का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है। गुना लोकसभा क्षेत्र की 8 सीटों मेें से पांच सीटों पर कांग्रेस और तीन सीटों पर भाजपा विजयी हुई है।
कांग्रेस और भाजपा के मतों का आंकलन करें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा की तुलना में लगभग 16 हजार मत कम प्राप्त हुए हैं। लेकिन इन आंकड़ों से यह कल्पना नहीं की जा सकती कि सांसद सिंधिया के लिए गुना सीट पर मुकाबला आसान नहीं होगा। पिछले लोकसभा चुनाव मेें जब देशभर में मोदी लहर थी और नरेंद्र मोदी ने शिवपुरी में भी आमसभा को संबोधित किया था। तब भी सिंधिया ने भाजपा के प्रबल महल विरोधी मजबूत उम्मीदवार जयभान सिंह पवैया को लगभग 1 लाख 20 हजार मतों से पराजित किया था।
अभी तक सिंधिया गुना सीट पर चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। जिनमें से सिर्फ एक बार 2004 में भाजपा लहर में उनकी जीत का अंतर 1 लाख मतों से घटकर 87 हजार मतों पर पहुंचा था। उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया की मौत के बाद हुए उपचुनाव में सिंधिया चार लाख से अधिक मतों से विजयी रहे थे। उनके खिलाफ भाजपा ने 2002 और 2004 में स्थानीय उम्मीदवार स्व. देशराज सिंह यादव और हरीवल्लभ शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा था। वहीं 2009 में प्रदेश सरकार के केबिनेट मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को चुनाव लड़ाया। लेकिन वह ढ़ाई लाख मतों से चुनाव हार गए। 2014 मेें मोदी लहर में भाजपा ने जयभान सिंह पवैया को अड़ाया। लेकिन वह भी बुरी तरह परास्त हुए। ऐसे में भाजपा असमंजस में हैं कि वह गुना सीट पर किसे टिकट दें। जिससे उसे भले ही जीत हांसिल न हो लेकिन पराजय तो सम्मानजनक हो। देखना यह है कि क्या भाजपा इस दिशा में सफल होगी अथवा नहीं।