भाजपा का गरीब विधायक, जिसके पास नहीं है अपनी छत !

भाजपा का गरीब विधायक, जिसके पास नहीं है अपनी छत !

अब सहयोग राशि से बनवा रहे पक्का घर

श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक सीताराम आदिवासी के पास एक अदद पक्का मकान भी नहीं है। वह परिवार के साथ झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहते हैं। स्थानीय लोग नहीं चाहते कि उनका विधायक झोपड़ी में रहे, लिहाजा लोगों ने आपसी सहयोग से पैसे इकट्ठे किए, जिससे सीताराम का पक्का मकान बन रहा है। यह बात अचरज में डाल सकती है, मगर हकीकत है। divya mishra श्योपुर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले 2022 तक देश भर के करीब 3 करोड़ लोगों के लिए मकान बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन लगता है कि भाजपा से जुड़े लोगों को ही इसमें विश्वास नहीं रहा हैै। बीते विधानसभा चुनाव में श्योपुर के विजयपुर से विधायक चुने गए सीताराम आदिवासी इस मामले में बतौर उदाहरण जनता के सामने आए हैं। क्योंकि गरीबी के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 15 वर्षों के शासनकाल में उन्हें सरकारी मदद नहीं मिल पाई है। लिहाजा वह अब जनता के भरोसे अपना मकान पक्का बनवा रहे हैं। यह स्थिति प्रशासनिक अव्यवस्था के चलते बनी या इसके लिए जरूरतमंद की ईमानदार जिम्मेदार रही। इस तथ्य के सामने आने के बाद इसलिए भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि जब सत्ता व संगठन से जुड़े रसूखदार पदाधिकारियों को ही शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया, तब आम जनता को लाभांवित करने के दावे किस आधार पर किए जा रहे थे। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के पहले वर्ष 2011 से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मांग आधारित मुख्यमंत्री आवास मिशन के माध्यम से प्रति वर्ष करीब 4 लाख मकान देने की योजना चलाई थी। वहीं दूसरी ओर प्रदेश भर में प्रधानमंत्री आवास मिशन के माध्यम से आगामी 2022 तक करीब 2.86 लाख घर बनाए जाने है। इसके लिए केंद्र 5 हजार करोड़ रुपए की मदद दे रहा है। [caption id="attachment_168966" align="alignnone" width="980"]BJP's poor legislator, who does not own his terrace sitaram adivasi[/caption] घर में नहीं चुनाव में लगाया पैसा सहरिया आदिवासी परिवार के इस विधायक के पास भले ही पक्का मकान बनवाने के लिए रूपया नहीं है, लेकिन यह तथ्य अब किसी से छिपा नहीं है कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए यह करीब 12 लाख रूपए खर्च कर चुके हैं। निर्वाचन आयोग को दिए गए व्यय संबंधी ब्योरे में इस बात का स्पष्ट उल्लेख विजयपुर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर किया है। अब पूरे क्षेत्र से जुट रहा चंदा सीताराम कराहल विकासखंड के पिपरानी गांव के रहने वाले हैं। विधायक बनने के बाद पक्का आवास की जरूरत मानते हुए अब चंदा देने वालों की भीड़ जुटने लगी है। क्षेत्र भर में कोई सिक्कों से तौल रहा है तो कोई घर के नाम पर 500-1000 रुपए की मदद भी कर रहा हैं। विधायकों को बिना ब्याज मिलता है ऋण खास बात यह है कि घर के नाम मिल रहे चंदे को विधायक सहजता से स्वीकार भी कर रहे हैं। जबकि यह सर्वविदित है कि विधायकों को आवास और वाहन के लिए बिना ब्याज के ऋण की पात्रता है। इसके अलावा प्रत्येक विधायक को 30,000 रुपए प्रतिमाह की दर से वेतन दिया जाता है। मासिक 35,000 रुपए का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10,000 रुपए का लेखन सामग्री तथा डाक भत्ता और 15,000 रुपए का कम्प्यूटर आॅपरेटर या अर्दली भत्ता दिया जाता है। 10,000 रुपए का टेलीफोन भत्ता निवास स्थान पर टेलीफोन कनेक्शन हो या न हो इसके बाद भी मिलता है। इनका कहना है मैं ईमानदारी से हर काम करता था और कर रहा हूं। मेरी ऐसी हालत ईमानदारी के चलते है। मेरे चाहने वाले चंदा इकट्ठा कर मेरे लिए पक्के मकान का निर्माण करवा रहे हैं। भाजपा सरकार ने प्रदेश के लिए सबसे ज्यादा विकास कार्य किया है। यह उसके ईमानदार नेताओं के कारण संभव हुआ है। कांग्रेस सरकार ने न कभी जनता के लिए कुछ किया है और न ही अब कुछ कर रही है। सीताराम आदिवासी, विधायक मेरे पति लंबे अरसे से संघर्ष करते आ रहे हैं। अब दिन फिरे हैं, उम्मीद है कि आने वाले समय में हमारी स्थिति सुधरेगी और जीवन सुखमय होगा। सीताराम जी जनता के काम को ही अपना काम मानते हैं, इसलिए जनता भी उन्हें अपना मानती है। इमरती बाई, विधायक की पत्नी