rajesh dwivedi
सतना। क्या सतना जिला मानव तस्करों के निशाने पर है? क्या गुमुशुदा बच्चे मानव तस्करों के हत्थे चढ़कर अपना बचपन गंवा रहे हैं। यह सवाल गुमशुदा बच्चों को तलाशने में पुलिस की नाकामी से उठ रहे हैं। यदि विगत वर्षों के गुमशुदा बच्चों व उनकी सकुशल बरामदगी के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाय तो कुछ ऐसे ही सवाल जेहन में उठते हैं। रहस्यमयी अंदाज से लापता हुए नाबालिग बालक -बालिकाओं के परिजनो की पथराई आंखें अपने जिगर के टुकड़ों का इंतजार कर रही है।

कहने को पुलिस इनकी तलाश कर रही है, लेकिन सतना पुलिस आज तक इन मामलों का खुलासा करना तो दूर सुराग तक नही ढूढ़ पाई है । मौजूदा समय में सतना जिले से 300 से ज्यादा नाबालिग बालक बालिकाएं लापता है। यदि इन आंकड़ों में दूसरे गुमशुदा महिला पुरुष को शामिल कर लिया जाए तो जिले में यह आंकड़ा 5 सौ ज्यादा पहुंच जाता है। हालांकि गाहे-बगाहे पुलिस दावा करती रहती है कि सभी गुमशुदा नाबालिगों की तलाश के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है । पुलिस ने इन मामलों में ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं दिखाई और अब परिजन पुलिस थानों और आला अधिकारियो के दरवाजे के चक्कर काट कर थक हार चुके है। चौंकाने वाली बात ये है कि नाबालिग गुमशुदा नाबालिगों में 218 लड़कियां हैं।
कहां गई राधिका
जिले में सर्वाधिक लड़कियों की गुमशुदगी वाले कोलगवां थाना क्षेत्र से एक और मासूम बालिका रहस्यमयी अंदाज में लापता हो गई है। 26 तारीख से लापता 6 वर्षीया राधिका कोल जिस अंदाज में लापता हुई है, उससे एक बार पुन: इस आशंका को बल मिल रहा है कि क्या सतना में वाकई कोई ऐसा गैंग सक्रिय है जो मासूमों को निशाना बना रहा है। कोलगवां थाने में बीते दिनों शिकायत दर्ज कराते हुए राधिका के पिता उमेश कोल ने बताया था कि उसकी बेटी कक्षा 1 में पढ़ती है जिसे घर के पास से ही गायब कर लिया गया। उसकी शिकायत पर कोलगवां पुलिस ने तो पड़ताल नहीं की लेकिन अनिष्ट की आशंका से ग्रसित होकर जब बेबस पिता ने उसके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि 26 तारीख को एक 14 वर्षीया लड़की उसके घर आई और अपने आपको राधिका की दीदी बताते हुए उसे ले गई। उस दौरान उमेश मजदूरी करने गया था। तब के बाद राधिका को नहीं देखा गया। उमेश ने पहले तो अपनी तमाम रिश्तेदारियों व हर उस संभावित स्थल पर राधिका की तलाश की जहां वह मिल सकती थी, लेकिन जब उसका कोई सुराग नहीं मिला तब उसने कोलगवां थाने में शिकायत दर्ज कराई। हालांकि अब तक पुलिस से भी उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। कोलगवां पुलिस उसे स्वयं ढूढ़ने की नसीहत देकर अपने कर्त्तव्यों की इतिश्री कर रही है। जाहिर है कि ऐसे मामलों को लेकर पुलिस संजीदा नहीं है
थाना लड़के लड़कियां
कोलगवां थाना - 17 43
सिटी कोतवाली - 09 13
सिविल लाइन - 12 11
मैहर - 08 12
कोठी - 03 02
जसो - 02 05
अमरपाटन - 02 20
रामनगर - 02 19
गुमशुदा लोगों की एफआईआर दर्ज कर भूल जाना सतना पुलिस की आदत में शुमार रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि जिले के कुल लापता नाबालिगो में से बड़ी संख्या नाबालिग लड़कियों की है, जिन्हें तलाशना सतना पुलिस के लिये चुनौतियों भरा काम है। इतनी बड़ी गुमशुदाओं की संख्या कही न कहीं मानव तस्करी की तरफ भी इशारा करता है। जब कभी इक्का-दुक्का गुमशुदगी के मामले सुलझे हैं तो उसके पीछे मानव तस्करी ही सामने आई है। जाहिर है कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का गायब होना और उनकी बरामदगी न होना चिंता की बात है लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस कागजी अभियान का हवाला देकर भूल जाती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चलाया जाने वाला आपरेशन मुस्कान भी यहां पनाह मांग रहा है। जाहिर है कि माता-पिता के जिगर के टुकड़ों की बरामदगी को लेकर भी पुलिस संवेदनहीन है जिसके चलते ऐसे बच्चों के अभिभावकों के जिगर चाक-चाक हो रहे हैं।