MP में सत्ता पलट के खेल की कमज़ोर कड़ी! नारायण त्रिपाठी पर टिकी निगाहें
सतना
जिले के मैहर से निर्वाचित भारतीय जनता पार्टी के विधायक नारायण त्रिपाठी शुरू से सत्ता पलट के खेल में सबसे कमजोर कड़ी के तौर पर देखे जा रहे हैं. वे लगातार मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मुलाकात कर रहे थे. हर मुलाकात के बाद नारायण त्रिपाठी यह कहने से नहीं चूकते थे की ये मुलाक़ात मैहर को जिला बनाने के लिए हो रही हैं. कमलनाथ मंत्रिमंडल की आज हुई बैठक में मैहर को जिला बनाने का फैसला ले लिया गया है. अब नारायण त्रिपाठी की अगली भूमिका का इंतजार है. मैहर के अलावा चाचौड़ा और नागदा को जिला बनाया जा रहा है.
नारायण त्रिपाठी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की थी. सतना जिले के मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के बाद कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे.उस वक्त भी उन्होंने यही कहा था कि वे मैहर को जिला बनाने की शर्त पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं.
नारायण त्रिपाठी पूरे 5 साल भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे. लेकिन मैहर को जिला नहीं बनवा पाए. पिछले विधानसभा चुनाव में पंद्रह साल बाद कांग्रेस जब सत्ता में वापस आई तो नारायण त्रिपाठी एक बार फिर दल छोड़ने के लिए बेताब दिखाई दिए थे. उन्होंने एक बार विधानसभा का फ्लोर भी क्रॉस किया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ खड़े दिखाई दिए. भारतीय जनता पार्टी ने अपनी भावी रणनीति को ध्यान में रखते हुए नारायण त्रिपाठी को अब तक दल की सदस्यता से पृथक नहीं किया लेकिन, राजभवन में जो सूची भारतीय जनता पार्टी की ओर से अपने विधायकों की दी गई उसमें नारायण त्रिपाठी का नाम नहीं दिया गया.
भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा में अपने सदस्यों की संख्या 106 बताई है. कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री कमलनाथ यदा-कदा नारायण त्रिपाठी का उपयोग ट्रंप कार्ड की तरह करते रहे हैं. हालांकि कमलनाथ जानते हैं कि एक विधायक अकेला उनकी मदद नहीं कर सकता.लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अलावा कांग्रेस के बागी विधायकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए ही वे नारायण त्रिपाठी का उपयोग कर रहे हैं.
हनी ट्रैप मैं भी नारायण त्रिपाठी का नामनारायण त्रिपाठी का नाम मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप में भी सामने आया है.माना यह जा रहा है कि इस मामले में होने वाली कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ही वे कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. हनी ट्रैप का मामला फिलहाल कोर्ट में है. इसका ट्रायल भी शुरू हो चुका है.
कांग्रेस के वरिष्ठ और विंध्य क्षेत्र के नेता अजय सिंह नहीं चाहते कि नारायण त्रिपाठी कांग्रेस में आएं. उनका नारायण त्रिपाठी से 36 का आंकड़ा है. वे नहीं चाहते हैं कि नारायण त्रिपाठी वापस कांग्रेस में आएं. नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़ने की वजह अजय सिंह को ही बताया था. अजय सिंह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र हैं और कांग्रेस की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं.