रैगांव में किसानों के बीच आक्रोश, नहर नहीं तो वोट नहीं

rajesh dwivedi सतना। रैगांव विधानसभा क्षेत्र के किसान इन दिनों न केवल क्षेत्रीय विधायक से बल्कि सरकार से भी नाराजगी जता रहे हैं। यह नाराजगी लंबे अरसे से की जा रही नहर की मांग को लेकर है जिस पर न तो कभी विधायक ऊषा चौधरी ने ध्यान दिया और न ही सरकार ने। स्थानीय किसानों ने कई मर्तबा नहर निर्माण के लिए न केवल आंदोलन किए बल्कि सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने कई मर्तबा धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन उनकी आवाज प्रशासनिक व राजनैतिक गलियारों में नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हुई। लगातार किसानों की नहर की मांग दबाने से अब किसानों का धैर्य जवाब दे गया है और उन्होने संगठित होकर आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के बहिष्कार का निर्णय लिया है। किसानों का कहना है कि यदि नहर बनाने के लिए ठोस कदम न उठाए गए तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे। Resentment among farmers in Raggaon, if not canal, do not voteक्या है मामला दरअसल रैगांव विधानसभा क्षेत्र के रामपुर चौरासी, हाटी, कुड़िया, रैगांव, नकटी, खाम्हा-खूझा, बरा, पवइया, गुलुआ समेत तकरीबन 170 गांवों तक बरगी नहर का पानी पहुंचाने का वादा करते हुए इन गांवों का सर्वे कराया था, लेकिन जब बरगी नहर का निर्माण शुरू हुआ तो कमजोर राजनैतिक पहल के चलते इन गांवों को भुला दिया गया। चिन्हित 170 गांव न केवल पेयजल समस्या का सामना करते हैं, बल्कि कृषि पर निर्भरता रखने वाले अधिकांश किसानों को सिंचाई समस्या से भी जूझना पड़ता है। 6 साल पूर्व किए गए वादों पर अमल न होने से स्थानीय किसानों ने पेहरि सिंह, केपी सिंह, तेजराज सिंह, रजनीश गर्ग, उपेंद्र सिंह, मुरलीधर गौतम, भीम सिंह,भानुप्रताप सिंह, अजीत सिंह, मंटू सिंह, पूरण पयासी समेत कई उत्साही युवकों जल आंदोलन-जन आंदोलन शुरू किया जिसमें क्षेत्र के हजारो किसान जुड़ रहे हैं। गत दिवस जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान इन्ही युवकों ने स्थानीय किसानों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर नहर नहीं तो वोट नहीं का ऐलान किया है। हाईजैक कर रहे राजनैतिक दल इस मामले में आंदोलन प्रारंभ करने वाले पेहरि सिंह, उपेंद्र सिंह समेत स्थानीय किसानों का कहना है कि उनकी क्षेत्रीय मांग को राजनैतिक रंग चढ़ाने की कोशिश कतिपय भाजपाई व कांग्रेसी कर रहे हैं, जबकि यह आंदोलन किसानों का है न कि भाजपा अथवा कांग्रेस का। किसानों का कहना है कि नेता जितनी तत्परता इस आंदोलन पर अपना लेबल चढ़ाने के लिए दिखा रहे हैं, उतनी ही तत्परता यदि नहर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बनाने की करते तो 170 गांव के किसानों की समस्या का हल निकल आता।