SIT जांच में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर, गोकशी में 4 निर्दोषों को जेल भेजा
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बुलंदशहर
बुलंदशहर हिंसा मामले में यूपी पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस पर आरोप है कि स्याना में हुई गोकशी के मामले में निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया। एसआईटी की जांच में यह खुलासा होने पर पुलिस की चारों ओर किरकिरी हो रही है।
बुलंदशहर हिंसा जहां प्रदेश सरकार के लिए गले की फांस बनी हुई है, वहीं जनपद पुलिस अभी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। आरोप है कि बुलंदशहर पुलिस ने अपनी जान बचाने के लिए गोकशी में फर्जी गिरफ्तारियां दर्शाकर चार निर्दोष लोगों को जेल भेज दिया, जबकि एसआईटी जांच में चारों आरोपियों के हिंसा से पहले हुई गोकशी की घटना में शामिल न होने की पुष्टि हुई है।
दरअसल, स्याना पुलिस ने 5 दिसंबर को आरोपी साजिद, सरफुद्दीन, बन्ने खां और आसिफ को जेल भेजा था। एसआईटी के जांच अधिकारी सीओ राघवेंद्र मिश्र ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि अब चारों के निर्दोष होने की रिपोर्ट कोर्ट को भेजी जाएगी।
गौरतलब हो कि बुलंदशहर हिंसा में एसटीएफ ने वीडियो फुटेज से पहचान में आए दो आरोपियों सचिन कोबरा और जोनी को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया था। इसके अलावा, पुलिस ने महाव में गोकशी के तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उधर, हिंसा की न्यायिक जांच की मांग को लेकर अनशन पर बैठे यति नरसिंहानंद सरस्वती ने खून से सीएम को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। वहीं, बुलंदशहर के चार विधायकों की मुख्यमंत्री से मुलाकात में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिंसा में कोई भी बेकसूर जेल नहीं जाएगा। बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज समेत अभी 19 नामजद और 47 अज्ञात फरार चल रहे हैं। एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और पुलिस की 15 टीम आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश डाल रही हैं।
बता दें कि, 03 दिसंबर को स्याना में गोकशी की सूचना हुई हिंसा में गोली लगने से इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक युवक सुमित की मौत हो गई थी। एसआई सुभाष चन्द ने 27 नामजद और 60 अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें मृतक सुमित भी नामजद था और मुख्य आरोपी बजरंग दल का जिला संयोजक योगेश राज है। अभी तक हिंसा मामले में 18 आरोपी जेल में बंद हैं।