महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में कलाकारों ने उन्हें अनोखे अंदाज़ में श्रद्धांजलि दी. चित्रकार नर्मदा तट पर अपनी कल्पना को कैनवास और छातों पर उकेर कर महान चित्रकार को याद किया. स्थानीय रपटा घाट में रज़ा स्मृति में 5 दिवसीय आयोजन चल रहा है. इसमें लोगों को चित्रकला से जोड़ने के लिए एक अभिनव पहल की गई है. इसमें चित्रकला के शौकीन लोगों को सफेद छाते उपलब्ध कराए गए हैं. इसके अलावा प्रिंट सामग्री भी रज़ा फॉउण्डेशन द्वारा प्रदान की गई है.लोगों से कहा गया कि वह इन छातों को पेंट करें और इन्हें और याददाश्त के तौर पर अपने साथ ले जाएं.यहां पर चित्रकला कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हो रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि रज़ा ने फ्रांस में साठ वर्ष अपने जीवन और कला के बिताए पर वह अपनी वरेण्य नर्मदा जी को कभी नहीं भूले और वह उनकी स्मृति और कला का अनिवार्य अंग रहीं.उन्हें उनकी इच्छा के मुताबिक मंडला में पवित्र नदी से कुछ दूर उनके वालिद की कब्र के बगल से सुपुर्द-ए-खाक किया गया.2016 में रज़ा स्मृति नर्मदा के किनारे 19 से 23 जुलाई 2018 तक आयोजित की जा रही है.हैदर रजा की प्राथमिक शिक्षा मंडला जिले के ककैया ग्राम में हुई. अपने पूरे जीवन काल में वह मैया नर्मदा और मंडला को नहीं भूले. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री,पद्म भूषण,पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया. फ्रांस सरकार ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया.