कहां और कब पॉकेटमारी की, कितना माल आया, कितने में बेचा- डायरी में बाकायदा लिखते थे

कहां और कब पॉकेटमारी की, कितना माल आया, कितने में बेचा- डायरी में बाकायदा लिखते थे

 
नई दिल्ली

ईस्ट जिला पुलिस ने पॉकेटमारी का एक ऐसा गैंग पकड़ा है, जो नाबालिगों को ट्रेनिंग देकर दिल्ली-एनसीआर में जेबतराशी की वारदातों को अंजाम देता था। एक नाबालिग (13)को भी हिरासत में लिया गया है। ये लोग चोरी के फोन और दूसरे सामान को बिहार और झारखंड में ठिकाने लगाते थे। गिरफ्तार तीन आरोपियों के कब्जे से 7 चोरी के मोबाइल फोन और एक डायरी बरामद की गई है। डायरी में चोरी का लेखा-जोखा मिला है। 
 
पुलिस ने गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी के भूपेंद्र (32), झारखंड के जिला साहिबगंज निवासी सुनील महतो (36), बिहार के जिला कटिहार के रहने वाले बिहारी चौधरी (35) को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, लक्ष्मी नगर निवासी लक्ष्य चौहान ने शिकायत दी कि वह प्रीत विहार इलाके के वी3एस मॉल में फिल्म देखने गए थे। टिकट खरीदने के लिए लाइन में खड़े होने के दौरान किसी ने जेब से उनका पर्स और मोबाइल चुरा लिया। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में एक नाबालिग को जेब से मोबाइल और पर्स चुराते हुए देखा गया। 

अगले दिन 27 जनवरी को लक्ष्य चोर की तलाश में फिर से वी3एस मॉल गए तो उन्हें वहां वह लड़का नजर आ गया। पीड़ित ने पूछताछ की और लड़के की जेब में एक एमआई मोबाइल फोन था। सब इंस्पेक्टर अबोध शर्मा, हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार और कॉन्स्टेबल कपिल भी वहां पहुंच गए। पूछताछ में लड़के ने बताया कि उसका जानकार सुनील महतो उसे भीड़-भाड़ वाली जगहों से मोबाइल फोन चुराने के लिए दिल्ली लेकर आया है। वह दिल्ली और पटना में पिछले छह महीने से महतो के कहने पर पॉकेटमारी कर रहा है। 

डायरी में रखते थे हिसाब
आरोपियों के कब्जे से 7 चोरी के मोबाइल फोन और एक डायरी बरामद हुई है। आरोपी डायरी में बाकायदा जेबतराशी का हिसाब-किताब रखते थे। कहां और कब पॉकेटमारी की किस वारदात को अंजाम दिया गया और उससे कितना माल आया है। यही नहीं, चोरी का सामान कितने रुपये में बेचा गया है, ताकि पैसों का बंटवारा करते समय कोई परेशानी न हो। 

नाबालिगों को देते थे ट्रेनिंग
झारखंड का रहने वाला मास्टरमाइंड सुनील शादीशुदा है। पढ़ा-लिखा नहीं है। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि वह भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नाबालिग लड़कों से पॉकटेमारी करवाने के लिए बाकायदा ट्रेनिंग भी देता था। फिर वह अपने साथी भूपेंद्र और बिहारी चौधरी के साथ नाबालिगों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ले जाकर जेबतराशी की वारदात को अंजाम दिलवाते थे।