गुजरात: शंकर सिंह वाघेला के पुत्र महेंद्र वाघेला बीजेपी में शामिल

अहमदाबाद 
गुजरात की सियासत में बड़ी उठापटक हुई है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के पुत्र महेंद्र सिंह शंकर सिंह वाघेला शनिवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान अहमद पटेल के खिलाफ शंकर सिंह वाघेला और बीजेपी के बीच नजदीकियां देखने को मिली थीं। बीजेपी ने इस चुनाव में वाघेला के समधी बलवंत सिंह को पार्टी जॉइन कराने के बाद चुनाव मैदान में उतारा था।  

पूर्व कांग्रेस विधायक वाघेला के पुत्र महेंद्र वाघेला ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी का दामन थाम लिया। इस दौरान राज्य बीजेपी के अध्यक्ष जीतू वाघानी और प्रदेश के डेप्युटी सीएम नितिन पटेल भी मौजूद रहे। अहमदाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वाघानी ने औपचारिक रूप से महेंद्र वाघेला के बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया। 

वाघेला-मोदी की नजदीकी 
गुजरात की सियासत में बापू शंकर सिंह वाघेला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच नजदीकी संबंध रहे हैं। यहां तक कि वाघेला के कांग्रेस में जाने के बावजूद 2014 में जब पीएम मोदी ने गुजरात विधानसभा में अपनी फेयरवेल स्पीच दी, तो वाघेला ने विधानसभा के अंदर उनकी काफी तारीफ की थी। यही नहीं वाघेला और मोदी एक-दूसरे के गले भी लगे थे। 

कांग्रेस से वाघेला के बिगड़ते रिश्ते 
पिछले साल मई में शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ट्विटर अकाउंट से अनफॉलो कर दिया था। इसी के बाद से उनके बीजेपी खेमे के करीब जाने के संकेत दिखने लगे थे। दरअसल अशोक गहलोत को गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने के बाद वाघेला नाराज चल रहे थे। 

इससे पहले मार्च 2017 में वाघेला ने दावा किया था कि वह सीएम की रेस में नहीं हैं। इसके ठीक बाद अप्रैल में कांग्रेस के 57 में 36 विधायकों ने उन्हें सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग की थी। माना जाता है कि तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी से उनकी अनबन चल रही थी। 

राज्यसभा चुनाव से पहले छोड़ी कांग्रेस 
पिछले साल अगस्त में हुए राज्यसभा चुनाव ने साफ कर दिया कि वाघेला और कांग्रेस के बीच संबंध अंतिम दौर में हैं। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। इस चुनाव में अपने पुराने मित्र अहमद पटेल को वोट न देकर उन्होंने अपने समधी बलवंत सिंह को वोट किया था। वाघेला ने इसके बाद जन विकल्प मोर्चा नाम से पार्टी बनाते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। हालांकि चुनाव में उनकी पार्टी को कामयाबी हासिल नहीं हुई।