गोद देने के बाद बच्चा अपने जैविक माता-पिता के पास लौट सकता है?

नई दिल्ली
एक दंपति को अपनी ही नाबालिग बेटी को अगवा करने के आरोप में न सिर्फ 12 साल तक मुकदमे का सामना करना पड़ा, बल्कि उन्हें कानूनी अभिभावक के संरक्षण से बच्ची को अगवा करने का दोषी भी ठहराया गया। लेकिन, इस दंपति ने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दायर की। सत्र अदालत ने माना है कि कानूनी गोद प्रक्रिया महज एक दस्तावेज है। अदालत ने कहा कि बच्चे/बच्ची का उज्जवल भविष्य व हित सर्वोपरि है और यह जिससे भी मिले वही कानून की नजर में उसका पालनहार है। इसके साथ अदालत ने जन्म देने वाले माता-पिता को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के फैसले को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि गोद देने के बाद बच्चा यदि अपने जैविक माता-पिता के पास लौटना चाहे तो यह अपराध नहीं है।
कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह की अदालत ने दंपति की सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर गोद देने के बाद बच्चा अपने कानूनी अभिभावक के साथ नहीं रहना चाहता और वह अपनी मर्जी से जन्म देने वाले माता-पिता के पास वापस लौटता है तो यह कोई अपराध नहीं है। अदालत ने कानून को परिभाषित करते हुए कहा कि हर हाल में बच्चे का उज्जवल भविष्य व हित मायने रखता है। यदि गोद लेने वाले अभिभावक बच्चे की उचित देखभाल या लालन-पालन नहीं कर रहे हैं तो बच्चा स्वेच्छा से अपने पालनकर्ताओं का चयन कर सकता है। हालांकि अदालत ने कहा कि इसके लिए बच्चे की मानसिक समझ का परीक्षण अनिवार्य होता है। लेकिन जहां तक इस मामले का सवाल है तो यहां बच्ची को जन्म देने वाले माता-पिता के खिलाफ जब मुकदमा दर्ज कराया गया, वह आठ साल की थी और अब जब यह फैसला आया है तो वह 20 साल से ज्यादा उम्र की हो चुकी है। दोनों ही बार उसने अपने जन्म देने वाले माता-पिता के साथ रहने की इच्छा व मंशा जताई है।
जन्म के 28 दिन बाद गई, 8 साल की उम्र में वापस लौटी
बच्ची का जन्म वर्ष 2000 में हुआ था। माता-पिता ने जन्म के 28 दिन बाद बच्ची को अपने एक रिश्तेदार को गोद दे दिया था। अचानक बच्ची वर्ष 2008 में वापस जन्म देने वाले माता-पिता के पास पहुंच गई। हालांकि, कानूनी अभिवावकों का दावा है कि बच्ची को उसके घर के पास से अगवा किया गया, जबकि बच्चे कै जैविक माता-पिता ने बताया कि बच्ची के बीमार होने पर उसका इलाज कराने के बाद उन्होंने उसे वापस छोड़ दिया था, लेकिन बाद में वह अपनी मर्जी से उनके साथ आ गई।
बच्ची बोली- पिटाई करते थे
बच्ची ने आठ साल की उम्र में कोर्ट को बताया था कि उसके कानूनी अभिभावक उसे ठीक से खाना नहीं देते थे और उसकी पिटाई भी करते थे। दूसरी बार 6 मार्च 2019 को दर्ज कराए बयान में भी बच्ची ने पहले वाले बयान ही दोहराए।