ज़ीरो मूवी रिव्यू

कलाकार: शाहरुख खान,सलमान खान,अनुष्का शर्मा,कटरीना कैफ
निर्देशक: आनंद एल. रॉय
मूवी टाइप: रोमांस,ड्रामा
अवधि: 2 घंटा 44 मिनट
कहानी: बउआ सिंह (शाहरुख खान) मेरठ का रहने वाला एक ऐसा शख्स है जो वर्टिकली चैलेंज्ड है, लेकिन वह दिल का बेहद अच्छा इंसान है। उसे आफिया (अनुष्का शर्मा) नाम की एक वैज्ञानिक से प्यार हो जाता है। आफिया सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है। दोनों की यह अनूठी प्रेम कहानी भारत से अमेरिका पहुंच जाती है और वहां से अंतरिक्ष। इस प्रेम कहानी के सफर में बउआ और आफिया की ज़िंदगी में कई मुश्किलें आती हैं।
रिव्यू: एक उम्दा कॉन्सेप्ट के लिए जरूरी होता है कि उसका निर्माण सकुशल समान रूप से किया जाए, लेकिन हर अच्छी कहानी को वह ट्रीटमेंट नहीं मिलता है, जिसकी वह हकदार है। 'जीरो' की कहानी बेहद दिलचस्प है और इसका कॉन्सेप्ट भी उतना ही प्रेरणादायक है। मेरठ से लेकर मंगल तक की इस कहानी को विज्ञान, ग्रहों के बीच के सफर और अविश्वसनीय प्यार जैसे विचारों के साथ परोसा गया है, लेकिन ऐसा करने के चक्कर में यह फिल्म कई जगह मात खा जाती है। एक साथ कई भावों और विचारों को दिखाने के चक्कर में 'ज़ीरो' किसी एक के साथ भी न्याय नहीं कर पाती। हालांकि कुछ सीन बेहद दमदार है, लेकिन कुछ स्क्रीन से ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे वे कोई शूटिंग स्टार हों।
कहानी मेरठ में शुरू होती है, जहां बाउआ सिंह अपने पिता (तिग्मांशु धूलिया) का सारा पैसा बॉलिवुड सुपरस्टार बबिता कुमारी (कटरीना कैफ) पर उड़ाता रहता है। वह बबीता पर फिदा है। बेटे बउआ की ऐसी हरकत देख उसके पिता दुख और गुस्से से भरे रहते हैं, लेकिन चीजें तब बदल जाती हैं जब बउआ बेहद योग्य और काबिल वैज्ञानिक आफिया से मिलता है।
बउआ वर्टिकली चैलेंज्ड है और आफिया सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित और दोनों की यही कमियां उनके नए रिश्ते की नींव रखती हैं। हालांकि दोनों की पर्सनैलिटी में जमीन-आसमान का फर्क है और यही फर्क फिल्म की कहानी का मजबूत स्तंभ बनता है। इसी बीच बॉलिवुड ऐक्ट्रेस बबीता कुमारी की फिर से बउआ और आफिया की ज़िंदगी में एंट्री होती, जिससे और भी ड्रामा शुरू हो जाता है।
सबसे अच्छी बात यह है कि फिल्म के इन किरदारों ने अपने फिजिकल चैलेंजेस को अपने स्वभाव और मिज़ाज पर हावी नहीं होने दिया है। शाहरुख तो रोमांस के बादशाह हैं ही और उन्होंने फिल्म में अपना रोमांटिक किरदार पर्फेक्शन के साथ निभाया है। बौने किरदार में शाहरुख जमे हैं। कटरीना का रोल बेहद छोटा है, लेकिन उन्होंने भी इंप्रैस किया है। जहां तक अनुष्का शर्मा के किरदार की बात है तो उसमें काफी संभावनाएं थीं और उसे और भी जानदार बनाया जा सकता था। अनुष्का ने सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित का किरदार निभाने के लिए जो व्यावहारिक चित्रण किया, वह कुछ खास नहीं लगा।
फिल्म में शाहरुख और मोहम्मद जीशान आयुब के बीच कुछ कॉमिडी सीन्स हैं और वे जानदार हैं। फिल्म के गाने 'मेरे नाम तू' को शाहरुख ने अपने डांस से कलरफुल और एंटरटेनिंग बना दिया है। कुल मिलाकर, यह फिल्म आपको अच्छी तो लगेगी, लेकिन अगर सिर्फ मनोरंजन के तौर पर इस फिल्म को देखने का प्लान है तो कोई फायदा नहीं क्योंकि मनोरंजन का तत्व फिल्म की कहानी से गायब है।