जानिए आषाढ़ी शनैश्चरी अमावस्या का महत्व 

जानिए आषाढ़ी शनैश्चरी अमावस्या का महत्व 

नई दिल्ली
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अर्थात अमावस्या इस बार दो दिन रहेगी। 9 जुलाई को अमावस्या का पुण्य काल रहेगा जबकि10 जुलाई को शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। अमावस्या तिथि 9 जुलाई को सूर्योदय पूर्व प्रात: 4 बजकर 16 मिनट से प्रारंभ होकर 10 जुलाई को सूर्योदय बाद प्रात: 6.48 बजे तक रहेगी। इसलिए पुण्यकाल 24 घंटे से भी अधिक समय का 9 जुलाई को रहेगा, जबकि10 जुलाई को सूर्योदय बाद तक अमावस्या का स्पर्श होने से शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। यह अमावस्या इसलिए अधिक महत्वपूर्ण होती है क्योंकिइसके अगले दिन से आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघ्र योग और नाग करण रहेगा। यह दिन शनि से जुड़े समस्त दोषों, शनि की साढ़ेसाती, ढैया, पनौती, जन्मकुंडली में शनि पीड़ाकारक, मारक हो या नाग दोष, कालसर्प दोष आदि से मुक्ति के लिए श्रेष्ठ है। 

शनि चालीसा, जानें क्या हैं इसके लाभ क्या करें शनि की शांति के लिए यदि आप शनि की पनौती, ढैया, साढ़ेसाती से पीड़ित हैं तो उसकी शांति के लिए दान करना श्रेष्ठ होता है। दान में माषान्न तेल, नीलम, तिल, काले वस्त्र, कुलथी, लोहा, काली गाय, काले पुष्प, सुवर्ण, वर्ण दक्षिणा आदि दान किए जाने चाहिए। शनि के मंत्र ऊं खां खीं खूं स: मंदाय स्वाहा: मंत्र के 23 हजार जप करें। इससे पीड़ा से छुटकारा जल्दी मिलता है। यदि आपके साथ बार-बार कोई घटना, दुर्घटना हो रही हो तो सवा मीटर काले कपड़े में सवा पाव काले तिल, सवा पाव काले उड़द, लोहे की पांच कील और पांच साबुत नारियल के सूखे गोले बांधकर अपने नाम से शनिदेव से प्रार्थना करके सिर के ऊपर से सात बार क्लाकवाइज घुमाकर बहते जल में प्रवाहित करें। शनैश्चरी अमावस्या के दिन सुंदरकांड का पाठ करें, राम दरबार और हनुमानजी को देसी घी के हलवे का नैवेद्य लगाएं। इससे शीघ्र ही लक्ष्मी की प्राप्ति होने लगती है। शनैश्चरी अमावस्या प्रात: 6.48 बजे तक ही रहेगी इसलिए सूर्योदय पूर्व उठकर सूर्य को लाल चंदन मिश्रित जल का अ‌र्घ्य दें और सूर्य मंत्र ऊं सूर्याय नम: का 12 बार उच्चारण करें। शीघ्र ही तरक्की मिलने लगेगी। मान-सम्मान प्राप्त होगा। शनि यदि मारकेश है तो उससे बचने के लिए शनि स्तोत्र के 108 पाठ करें और दशांश हवन काले तिल जौ से करें।