पोषक तत्वों का खजाना है सांवा का चावल, शुगर रोगियों के लिए फायदेमंद
मोटे अनाजों में सांवा एक महत्वपूर्ण अनाज है। सांवा पौष्टिक तत्वों से भरपूर अनाज है। प्राचीन काल से इस अनाज को प्रमुखता से खाया जा रहा है। यह अनाज ग्लूटेन मुक्त होता है और यह उन लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है, जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी होती है। सांवा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, विटामिन बी और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भरपूर मात्रा में इसकी खेती भी की जाती है। इस अनाज को जंगली चावल भी कहा जाता है। व्रत के दौरान अल्पाहार के रूप में भी इसे खाया जाता है।
शुगर लेवल को कंट्रोल करने के साथ हृदय रोगों से बचाता है
- आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार सांवा डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- हृदय रोगों से बचाव करता है, क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में डाइटरी फाइबर पाए जाते हैं।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- वजन घटाने में सहायक होता है।
- त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक।
- सांवा के सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
- कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में में सहायक है।
सांवा प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत है
प्रोटीन शारीर के निर्माण वृद्धि, विकास, मरम्म्त एवं प्रतिरक्षी के रूप में शरीर को रोगप्रतिरोधक प्रदान करने में महत्वपूर्ण होता है।
इसमें प्रचुर मात्रा में घुलनशील व अघुलनशील पाचक रेशे होते है। रेशे कब्ज को कम करते है एवं अच्छे कोलेस्ट्रोल (एचडीएल) का अनुपात बढ़ाते है जिससे वजन नियंत्रित होता है।
इसमें काबोहाइड्रेट की मात्रा काफी कम होती है व धीमी पाच्कता होती है जिसकी वजह से सांवा कम क्रियाशील जीवन शैली वाले एवं मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
सांवा का ग्लैसेमिक इंडेक्स कम होता है यह रक्तशर्करा एवं लिपिड स्तर को कम करने के लिए काफी प्रभावी है। इसलिए यह मधुमेह एवं ह्रदय रोग के व्यक्तियों के लिए एक आदर्श आहार बन सकता है।
सांवा में ग्लूटेन प्रोटीन नहीं पाया जाता है। इसलिए यह ग्लूटेन द्वारा होने वाली सेलिएक नामक रोग से ग्रसित रोगियों के लिए प्रकति का वरदान है। इसका उपयोग गेहूं, बाजरा एवं सूजी की जगह किया जा सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार सांवा अनाज कम कैलोरी वाला होता है और इसे खाने से पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।