जानें देवशयनी एकादशी का महत्व, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

जानें देवशयनी एकादशी का महत्व, पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त

 
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है, इस दिन पुण्य कार्य और ईश्वर की भक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हरिशयनी एकादशी को मनाई जाती है। इस बार यह एकादशी 12 जुलाई यानी आज मनाई जा रही है। पुराणों में इस एकादशी को सौभाग्य प्रदान करने वाली एकादशी बताया गया है। साथ ही इस एकादशी से लेकर अगले चार महीने के लिए भगवान देवप्रबोधनी तक निद्रा में चले जाते हैं। सनातन धर्म में देव सो जाने की वजह से सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।
 
एकादशी का महत्व
पद्म पुराण में बताया है कि जो भी भक्त हरिशयनी एकादशी के दिन सच्चे मन से उपवास रखता है और विधि-विधान से पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी पापों का अंत होता है। मृत्यु की प्राप्ति के बाद आत्मा को बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। उस आत्मा को जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों के के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हो जाता है और 16 संस्कारों पर चार महीने के लिए रुक जाते हैं। हालांकि पूजन, अनुष्ठान, मरम्मत करवाए घर में गृह प्रवेश, वाहन क्रय जैसे काम किए जा सकेंगे।
 

एकादशी का शुभ मुहूर्त
हरिशयनी एकादशी 11 जुलाई को रात 3:08 से 12 जुलाई रात 1:55 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल शाम साढ़े पांच से साढे सात बजे तक रहेगा। एकादशी के पूर्णमान तक पूजन जारी रहेगा।
व्रत का पारण = 13 जुलाई को सूर्योदय के बाद
पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।

यह काम जरूर करें
एकादशी का धार्मिक महत्व बहुत है। सर्वप्रथम स्नान आदि नित्यकर्म करने के पश्चात व्रत का संकल्प लेने का विधान है। भगवान विष्णु चार महीने शयन के लिए जाते हैं इसलिए इस दिन खास पूजा ब्रह्म मुहूर्त में की जाती है। इस दिन पूजा स्नान के बाद भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। क्योंकि फिर इनकी शयन अवस्था में पूजा की जाती है। भगवान के सामने देसी घी का दीपक जलाएं और सफेद रंग की फूल जरूर अर्पित करें। पूजा करके भगवान को नए बिस्तर भी दें। इस दिन गाय को चारा दें और रात्रि में जागरण करना ना भूलें। साथ ही जहां जागरण करें वहीं पर अपना बिस्तर लगाएं।

हरिशयनी एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें
पुराणों का कहना है कि जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत नहीं भी करते हैं उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी, मूली, मसूरदाल के सेवन और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए। व्रत रखने वाले को दशमी तिथि के दिन से ही मन में भगवान विष्णु का ध्यान शुरू कर देना चाहिए और आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं। जो व्यक्ति हरिशयनी एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए।