तृतीय श्रेणी अनुकंपा नियुक्ति के 10 प्रतिशत सीमाबंधन तत्काल समाप्त करने की माग

तृतीय श्रेणी अनुकंपा नियुक्ति के 10 प्रतिशत सीमाबंधन तत्काल समाप्त करने की माग

रायपुर
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने प्रदेश में गत वर्ष से इस वर्ष कोरोना संक्रमण से लगभग 740 शासकीय अधिकारियो कर्मचारियो का दुखद निधन होने से कर्मचारी संघ स्तब्ध है। इसमें अकेले शिक्षा विभाग में 370 शिक्षक कर्मचारी दिवंगत हो गए है। अभी अनेक विभागों की अधिकृत जानकारी आना बाकी है। यह आंकड़ा केवल लोक सेवकों का ही है। यदि उनके परिजनों के आकड़ों को भी शामिल किया जावे तो यह आकड़ा हजार से पार होगी। ऐसी स्थिति में मृत शाासकीय सेवकों के परिजनों पर दुख का पहाड़ टूटा साथ ही आर्थिक मानसिक क्षति भी हुई है। गतवर्ष कोरोना दिवंगत् लोकसेवकों को अनुकंपा नियुक्ति में 10 प्रतिशत सीमाबंधन होने के कारण कोई भी आर्थिक लाभ तो दूर अनुकंपा नियुक्ति तक नहीं हो पाई है। इस विकराल स्थिति में संघ ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मांग की है कि तत्काल अनुकंपा नियुक्ति के सीमाबंधन को समाप्त किया जावे।

छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संध प्रवक्ता विजय कुमार झा जिला शाखा अध्यक्ष इदरीश खॉन ने बताया है कि छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा सेवाकाल के दौरान शासकीय सेवक की मृत्यु होने पर अनुकंपा नियुक्ति संबंधी एकजाई पुनरीक्षित निर्देश 2013 के बाद समय-समय पर जारी निर्देश व संशोधनों को एकजाई करते हुए नवीन अनुकम्पा नियुक्ति के अद्यतन एकजाई निर्देश-2013 23 फरवरी 2019 जारी किया है। इस आदेश के नियम 8 (2) में तृतीय श्रेणी के पदों पर 10 प्रतिशत् सीमाबंधन की शर्त है।

पूर्ववर्ती सरकार ने एक बार के लिए 01 वर्ष के लिए वर्ष 2017 में तथा पुन: एक वर्ष के लिए 2018 में शिथिल किया जिससे सभी विभाग में जितने प्रकरण लंबित थे सभी प्रकरणों का निराकरण योग्यता व पात्रता अनुसार कर दिये जाने से सभी विभागों में 10 प्रतिशत् के स्थान पर 17 प्रतिशत् 20 प्रतिशत् कर्मचारी अनुकंपा नियुक्ति में सेवारत् है। सीमाबंधन न हटने से आगामी 5 वर्ष तक किसी भी विभाग में तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति संभव नहीं है। प्रदेश में मंत्रालय, संचालनालय, स्वास्थ विभाग, पुलिस विभााग, राजस्व विभाग, नगर निगम व विश्वविद्यालय में अनेक शाासकीय सेवक दिवंगत हो गए है। सबसे विषम् स्थिति 01 जुलाई 2018 के बाद संविलियन हुए शिक्षक, व्याख्याता एल.बी. जिन्हें आज भी नियमित शासकीय सेवक नहीं माना जा रहा है, संविलियन तिथी के पूर्व के 8-10 वर्ष की सेवाएं डूबत खाते में चली गई। उसी का परिणाम है कि सातवे वेतनमान् के एरियर्स की तीसरी किश्त इन शिक्षकों को नहीं मिला है क्योंकि वेतनमान् 2016 से प्रभावी हुआ और वे जुलाई 2018 से संविलियन हुए है। इसलिए उन्हें मृत्यु उपादान, पेंशन, अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता नहीं है। इसलिए प्रदेश के मात्र 1,81,000 नियमित लोक सेवकों को ही एरियर्स का भुगतान हुआ। जहां तक एक दिन के वेतन देने का विरोध का प्रश्न है।

संध ने फं्रट लाइन में कार्यरत् कोरोना योद्वाओं स्वास्थ, पुलिस, नगर निगम, राजस्व विभाग व शिक्षकों को इसलिए वेतन कटौती से मुक्त रखने की मांग की है क्योंकि कोरोना योद्वाओं को कोई अन्य लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसी प्रकार अनियमित कर्मचारियों के नियमितिकरण का वादा पूरा करना तो दूर वे नियमित शासकीय सेवक की श्रेणी में नहीं आते है किंतु इन्हें भी कोरोना डयूटी लगाकर सेवा लिया जा रहा है। उनकी मृत्यु होने पर उनके परिवार के समक्ष शून्य बंटा सन्नाटा छा गया है। जिसका उदाहरण मेकाहारा के दैनिक वेतन भोगी लैबटैक्निशियन का दुखद निधन होना है जिसे विगत् 03 माह से वेतन भी भुगतान नहीं हुआ था। उन्हें लोक सेवक होने का कोई भी नहीं मिल रहा है। इसलिए संध की मांग है कि जिन्हें शासकीय सेवक होने का लाभ नहीं दिया जा रहा है उनसके कोरोना डयूटी भी न लिया जावे। इसलिए संध के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष अजय तिवारी, महामंत्री उमेश मुदलियार, संभागीय अध्यक्ष संजय शर्मा, विश्वनाथ ध्रुव, सुरेन्द्र त्रिपाठी, विमलचंद्र कुण्डू, नरेश वाढ़ेर, पटवारी संध अध्यक्ष अश्वनी वर्मा, नीरज प्रताप सिंह, स्वास्थ संयोजक संध प्रांताध्यक्ष टार्जन गुप्ता, अनियमित कर्मचारी संध प्रांताध्यक्ष बजरंग मिश्रा, राजू गवई, सतीश शर्मा, दिनेश मिश्रा, प्रमोद पाण्डे, मनोहर लोचनम्, विनोद शर्मा, एस.पी.यदु,मती अरूंधति परिहार,मती शीला बैस, नीलकंठ साहू, वाहन चालक संध सचिव संतोष धनगर, ए.जे.नायक, राजकुमार देशलहरे, आदि नेताओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बधेल से इस महामारी व संकटकाल में तत्काल अनुकंपा नियुक्ति के सीमाबंधन को समाप्त कर पिड़ित परेशान कर्मचारी परिवार को राहत देने की मांग की हैै।