यहां भाजपा का भाजपाइयों से मुकाबला, समर्थक हैरान

यहां भाजपा का भाजपाइयों से मुकाबला, समर्थक हैरान

भिंड
चुनावी रण में चंबल घाटी के भिंड विधानसभा क्षेत्र क्रमांक की स्थिति कुछ अजीबो गरीब है | यहां भाजपा भाजपाइयों से मुकाबला करती दिखाई दे रही है| एक और जहां भाजपा से चौधरी राकेश सिंह चुनावी मैदान में डटे हैं तो दूसरी ओर भाजपा के ही पूर्व सांसद रहे डॉ राम लखन सिंह के पुत्र संजीव सिंह बहुजन के हाथी पर सवार हैं | वहीं बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह टिकट काटे जाने से खफा हो गए और साइकिल चलाने लगे | क्योंकि तीनों लोग भाजपा के हैं और भिंड से ही उनका नाता है इसीलिए समर्थक हैरान परेशान दिख रही है | कई लोग तो नाराजगी से बचने के लिए चुनाव प्रचार से ही दूर हो गए। टीवी न्यूज़ रिपोर्टर गणेश भारद्वाज कहते हैं मुकाबला दिलचस्प है बस सभी को परिणाम का इंतजार है।

भिंड से वर्ष 1980 में भाजपा विधायक रहे चौधरी दिलीप सिंह के पुत्र चौधरी राकेश सिंह वैसे तो 4 बार कांग्रेस से विधायक चुने गए हैं | लेकिन वर्ष 2013 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी तब से वे भाजपा के लिए ही निरंतर काम कर रहे हैं | उनके छोटे भाई चौधरी मुकेश सिंह पहली बार भाजपा से मेहगांव के विधायक भी चुने गए थे। चौधरी राकेश सिंह इस बार 5 साल के इंतजार के बाद फिर भिंड के मतदाताओं के बीच ताल ठोक रहे हैं राकेश की एक खूबी है कि उनकी वक्तृत्व कला गजब की है संसदीय अनुभव भी उन्हें काम दे रहा है भिंड विधानसभा के गांव मजरे और टपरे पर उनके अपने लोग हैं जो उन्हें बूथ मैनेजमेंट में मदद कर रहे है।

यहां की दूसरी तस्वीर डॉ राम लखन सिंह के पुत्र संजीव सिंह के देखिए डॉ राम लखन भाजपा से भिंड दतिया संसदीय क्षेत्र से चार बार निरंतर सांसद रह चुके हैं वर्ष 2008 में उन्हें भाजपा ने विधानसभा का टिकट भी दिया था लेकिन उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा वर्ष 2013 में पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इंकार कर दिया तो वे अपने बेटे संजीव सिंह के साथ हाथी पर सवार हो गए इस बार भी बे हाथी की सवारी कर रहे हैं सांसद रहते हुए राम लखन के गांव गांव में समर्थक हैं और भाजपा संगठन में अच्छी घुसपैठ भी है यही बात भाजपा संगठन को परेशान कर रही है कार्यकर्ता कह रहे हैं जाएं तो जाएं कहां।

विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह वर्ष 2003 में बिजली आंदोलन की कोख से जन्मे थे वर्ष 2008 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वे साइकिल पर सवार हो गए हालांकि जल्द ही भाजपा ने उन्हें उन्हें गले लगा लिया और वर्ष 2013 में फिर चुनावी रण में उतार दिया इस बार परफारमेंस को देखते हुए पार्टी ने टिकट काट दिया तो वे फिर साइकिल दौड़ाने लगे भाजपा का स्थानीय संगठन चुकी नरेंद्र सिंह के हिसाब से तैयार हुआ था इसलिए वह उनके साथ ही साइकिल की सवारी करता हुआ दिख रहा है भाजपा भाजपा युवा मोर्चा महिला मोर्चा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के कार्यकर्ता नरेंद्र को छोड़कर अपनी मात्र पार्टी के साथ आने की हिम्मत नहीं कर पा रहे क्योंकि कुछ पदाधिकारी नरेंद्र सिंह के जेबी बने हुए हैं। एक नहीं 33 भाजपा से जुड़े नेताओं के सामने होने से राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं इस दिल के टुकडे हुए हजार कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा। टीवी रिपोर्टर पारा नितीश भारद्वाज मानते हैं किस रोल में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो 11 दिसंबर को पता चलेगा क्योंकि अभी तक मतदाताओं की जुबान खामोशी ओढ़े हुए हैं।