गुप्त नवरात्र में होगी दस महाविद्याओं की पूजा
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम: ...रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि...दुर्गासप्तशती के श्लोकों के पाठ और कलश स्थापना के साथ मंगलवार से माघ नवरात्र की पूजा शुरू हो गयी।
राजधानी सहित पूरे प्रदेश के श्रद्धालु मंगलवार से मां दुर्गा की आराधना में लीन हो गए। माघ नवरात्र को गुप्त नवरात्र के रूप में भी जाना जाता है। माघ मास में दुर्गापूजन, शक्तिपूजन की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मंदिरों और घरों में मंगलवार की सुबह प्रात: 6.18 बजे से 10.35 बजे के बीच कलश स्थापना के संग मां दुर्गा की पूजा शुरू हो गयी। सिद्धेश्वरी काली मंदिर बांसघाट, दरभंगा हाऊस काली मंदिर सहित सिद्ध पीठों में पूरे विधि-विधान से पूजा शुरू हुई। महाष्टमी पूजा 12 फरवरी, महानवमी पूजा 13 फरवरी और विजयादशमी 14 फरवरी को होगी। नवरात्र में चतुर्थी तिथि का क्षय है। ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के अनुसार मंगलवार से पूजा शुरू होने से मांगलिक दोषवाले लोगों को अधिक फायदा होगा। पूजा श्री मंगलागौरी और सिद्धि महायोग में होगी जिससे श्रद्धालुओं के सभी मनोवांक्षित फलों की प्राप्ति होगी। माता के नौ स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की पूजा होगी।
ये होते चार नवरात्रि
ग्रीष्म-गुप्त नवरात्र : आषाढ़ मास (जुलाई)
शारदीय नवरात्र: आश्विन मास (अक्टूबर)
वासंतिक : चैत्र नवरात्र (अप्रैल)
माघी नवरात्र : माघ मास (जनवरी-फरवरी)