सस्ती चीनी के लिए फैसला पलटने को मजबूर हुआ पाकिस्तान

सस्ती चीनी के लिए फैसला पलटने को मजबूर हुआ पाकिस्तान

इस्लामाबाद
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने से भड़के पाकिस्तान ने अगस्त 2019 में भारत के साथ कारोबारी रिश्ते तोड़ लिए थे और भारत से कई सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान को चीनी की बढ़ती कीमतों और संकट से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए अब अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान रमजान के दौरान चीनी की बढ़ती कीमतों पर भी अंकुश लगाना चाहता है।  

दरअसल, पाकिस्तान में कपास की बहुत कम पैदावार हुई है और कारोबारियों को अमेरिका, ब्राजील और उज्बेकिस्तान से कपास आयात काफी महंगा पड़ रहा था। इन देशों से कच्चे माल पहुंचने में करीब दो माह लगते हैं लेकिन लेकिन भारत से न सिर्फ यह कच्चा माल सस्ता पड़ता है बल्कि यह दो-तीन दिन में पहुंच भी जाता है।

पाकिस्तान के पांच डीलरों ने बताया, विक्रेताओं ने भारतीय चीनी और कपास की खरीद के बारे में जानकारी जुटानी भी शुरू कर दी है। भारत से इन दोनों सामानों के आयात से घरेलू बाजार को बड़ी राहत मिलेगी। एक्सपोर्टर डीडी कॉटन के एमडी अरुण शेखसरिया ने कहा, पाकिस्तान के भारतीय कपास का आयात अन्य देशों से आयात की तुलना में 4 से 5 फीसदी प्रति पाउंड सस्ता पड़ेगा।

पाकिस्तान भारत से सबसे ज्यादा कपास का आयात करता है। 2018-19 में पाकिस्तान ने भारत से 55.33 करोड़ डॉलर कीमत का कपास आयात किया। 2019-20 में भारत का पाकिस्तान के लिए कपास का निर्यात गिरकर 6.42 करोड़ डॉलर रह गया।

जुलाई-फरवरी 2020-21 में चीनी का आयात 6296 फीसदी बढ़कर 278,733 मीट्रिक टन पहुंच गया जबकि 2019-20 में इसी अवधि में 4358 मीट्रिक टन ही था। पाकिस्तान ने आयात पर 126.99 मिलियन डॉलर खर्च किए।

भारत पाकिस्तान से 19 प्रमुख उत्पादों का आयात करता था, जिनमें प्रमुख तौर पर ड्राई फूड, ताजे फल (अमरूद, आम और अनानास), सीमेंट, तैयार चमड़ा, मसाले, ऊन, रबड़ उत्पाद, खनिज एवं अयस्क शामिल थे।