3.15 लाख कर्मचारियों को नहीं मिली एरियर्स की पहली किश्त
भोपाल
वित्त विभाग के नए सॉफ्टवेयर में तकनीकी खामी का नतीजा प्रदेश के 3 लाख 15 हजार नियमित कर्मचारी भुगत रहे हैं। इन्हें अभी तक सातवें वेतनमान के एरियर्स की पहली किश्त नहीं मिल सकी है। यह किश्त मई 2018 में मिलनी थी जो नए सॉफ्टवेयर में रिकॉर्ड की एंट्री व दस्तावेज अपलोडिंग में आ रही दिक्कतों के कारण नहीं मिल रही है।
यह स्थिति सॉफ्टवेयर के स्लो चलने, बार-बार नेटवर्क फेल होने के कारण बनी है। अभी तक 1 लाख 35 हजार कर्मचारियों को ही पहली किश्त का लाभ मिला है। कर्मचारियों को पहली किश्त में 20 से लेकर 60 हजार रुपए तक मिलने थे।
प्रदेश में 4 लाख 50 हजार नियमित कर्मचारी हैं। इन्हें जुलाई 2018 से सातवें वेतनमान का लाभ मिला है। जबकि वेतनमान जनवरी 2016 से लागू हुआ। शासन ने बीच के 18 महीने के एरियर्स की राशि तीन साल (मई 2018, मई 2019 व मई 2020) में देने का निर्णय लिया है।
वित्त विभाग ने कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, मेडिकल बिल आदि की स्वीकृति के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। इसके तहत इंटीग्रेडेट फाइनेंशियल मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम (आईएफएमआईएस) पर वेतन, भत्ते व एरियर्स से जुड़ी जानकारी की एंट्री की जा रही है, जो नेटवर्क फेल होने, सॉफ्टवेयर धीरे चलने के कारण तय समय पर नहीं हुई।
पहले यह काम मैनुअल होता था। वित्त विभाग ने पारदर्शिता लाने के लिए यह व्यवस्था शुरू की है लेकिन सिस्टम में बार-बार आ रही तकनीकी खामियां कई सवाल उठा रहीं हैं। ऐसा एरियर्स की राशि के भुगतान में ही नहीं हो रहा है बल्कि वेतन, भत्ते व दूसरे बिलों के भुगतान में भी हो रहा है।
विभाग ने ये की व्यवस्था
1 से 7 जुलाई तक एरियर्स की पहली किश्त देने के लिए दूसरे बिलों की स्वीकृति रोकी थी। जब काम पूरा नहीं हुआ तो इसकी अवधि एक सप्ताह और बढ़ा दी। तब भी काम ने रफ्तार नहीं पकड़ी। जैसे-जैसे एंट्री व दस्तावेज अपलोडिंग का काम पूरा हो रहा है, उसके हिसाब से कर्मचारियों को पहली किश्त जारी की जा रही है।
पहली किश्त नहीं मिली
मई में 18 महीने के एरियर्स की पहली किश्त मिलनी थी, जो अभी तक नहीं मिली। सॉफ्टवेयर में खामी के कारण ऐसा हो रहा है।
- एलएन शर्मा, उपाध्यक्ष मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
15 दिन और लगेंगे
30 फीसदी कर्मचारियों को पहली किश्त दे चुके हैं, जो बचे हैं उन्हें जुलाई के आखिरी तक दे देंगे। नई व्यवस्था के तहत भुगतान में समय लग रहा है, लेकिन एक बार रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गया तो कर्मचारियों को दिक्कत नहीं आएगी।
- मुकेश गुप्ता, आयुक्त कोष एवं लेखा मप्र

bhavtarini.com@gmail.com 
