52 साल पहले 1967 में इंदौर में हुआ था सबसे ज्यादा मतदान

52 साल पहले 1967 में इंदौर में हुआ था सबसे ज्यादा मतदान

इंदौर
लोकतंत्र में जनता की राय सर्वोपरि होती है, इसी चुनावी प्रक्रिया से सरकार का गठन होता है। चुनाव से सरकार की नीति के लिए जनादेश हासिल किया जाता है। लोकतंत्र का स्वरूप और जागरूकता इसी बात पर निर्भर करती है कि आम मतदाता चुनाव में अपने मत का कितना अधिक उपयोग करता है।

प्रदेश की आर्थिक राजधानी होने का श्रेय इंदौर को है। आजादी के बाद 1951 से अभी तक 16 आम चुनाव और एक उपचुनाव में इंदौर के मतदाताओं ने सांसद चयन के चुनाव में मत दिया है। इस तरह 17 लोकसभा के चुनावों (16 चुनाव 1 उपचुुनाव) के मतदान के आंकड़े देखें तो इंदौर के मतदाताओं का मिलाजुला रुख देखने में आता है।

आजादी के बाद हुए 1951 के प्रथम आम चुनाव में नगर के 46.12 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मतदान किया था। जाहिर है आधे से भी कम मतदाताओं के अपने मताधिकार उपयोग किया। पिछले चुनावों में मतदान प्रतिशत का सर्वाधिक मतदान का रिकॉर्ड 1967 का रहा है जब 64.77 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। इसके बाद 1977 के आम चुनाव में भी 64.75 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड 1957 का है जब 45.88 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मतदान किया था।

यूं देखा जाए तो 1971के उपचुनाव में इंदौर सीट पर मात्र 26.37 प्रतिशत मतदाताओं ने ही मतदान किया था जो अभी तक का सबसे न्यूनतम मतदान का रिकॉर्ड है। एक संयोग है कि 1962 में इंदौर संसदीय क्षेत्र का 59.08 का मतदान राज्य में हुए किसी सीट का सर्वाधिक मतदान था।

मतदान अनिवार्य करने और मतदाताओं को जागरूकता के लिए कई अभियान चलाए जाते हैं ताकि मतदाता सर्वाधिक मतदान करें। मतदाताओं की बेरुखी के कारण कई बार मतदान अनिवार्य करने की मांग भी देश में उठती रही है।