आदिवासी नेता विष्णु देव साय चुने गए छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री

आदिवासी नेता विष्णु देव साय चुने गए छत्तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री

13 दिसंबर को शपथ ग्रहण होगा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री आदिवासी नेता विष्णुदेव साय होंगे। रायपुर के प्रदेश भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में हुई विधायक दल की बैठक में रविवार को उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया है। इसके बाद साय ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल ने साय को मुख्यमंत्री नियुक्त कर उन्हें मंत्रिमंडल के लिए आमंत्रित किया है। वहीं साय अस्थाई मुख्यमंत्री निवास पहुना पहुंच गए हैं। संभवत: 13 दिसंबर को शपथ ग्रहण होगा।

रमन सिंह  हो सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष हो सकते हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं। इनमें अरुण साव और विजय शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। विजय शर्मा भाजपा में महामंत्री रहे और पहली बार चुनाव जीतकर निर्वाचित हुए हैं वहीं अरुण साव लोकसभा सदस्य के साथ-साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।

शपथ ग्रहण  के लिए PM मोदी व अन्य नेताओं को आमंत्रित किया 

इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर भी तैयारी शुरू हो गई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अन्य नेताओं को आमंत्रित कर समय मांगा है, जल्द ही शपथ ग्रहण होगा। साय के छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को राज्य का पहला आदिवासी सीएम कहा जाता है, लेकिन उनकी जाति से जुड़ा मामला विवाद के चलते कोर्ट में लंबित है।

डा. रमन सिंह ने विष्णु देव साय के नाम का प्रस्ताव किया

केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री द्वय अर्जुन मुंडा व सर्वानंद सोनोवाल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम की उपस्थित भाजपा विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने विष्णु देव साय के नाम का प्रस्ताव किया। जिसका समर्थन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने किया। इस मौके पर प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री व चुनाव सह प्रभारी डा. मनसुख मांडविया, भाजपा संगठन सह प्रभारी नितिन नबीन व सभी 54 विधायक शामिल रहे।

25 दिसंबर को देंगे दो साल का बकाया धान का बोनस 

सीएम चुने जाने पर साय ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि दो साल का बकाया धान का बोनस 25 दिसंबर को देंगे। उन्होंने पांच साल तक सत्ता में रही कांग्रेस ने सरकारी खजाने को पूरी तरह से खोखला कर दिया है। इसके बावजूद भाजपा अपना हर वादा और मोदी की गारंटी को पूरी करेगी।

किसानों को दो साल का बकाया धान का बोनस दिया जाएगा

उन्होंने कहा कि वादे के अनुसार 25 जनवरी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन सुशासन दिवस पर राज्य के किसानों को दो साल का बकाया धान का बोनस दिया जाएगा। जरूरतमंदों को 18 लाख गरीबों को आवास दिया जाएगा। सबके विश्वास में खरा उतरने का प्रयास करूंगा।

चार बार के लोकसभा सदस्य और छत्तीसगढ़ भाजपा के तीन बार अध्यक्ष रहे 

प्रदेश के नए मुख्यमंत्री साय रायगढ़ से चार बार के लोकसभा सदस्य और छत्तीसगढ़ भाजपा के तीन बार अध्यक्ष रहे हैं, इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री का दायित्व भी संभाल चुके हैं।

भाजपा में सीधे दावेदारी किसी की नहीं रही

मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भाजपा में सीधे दावेदारी किसी की नहीं रही, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, विष्णु देव साय, अरुण साव, रेणुका सिंह और ओपी चौधरी का नाम सीएम के रेस में चर्चित रहा। बाकी चेहरा से साय सबसे श्रेष्ठ और आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी चेहरा के रूप में प्रबल दावेदार रहे, इसलिए बाकी रेस से पीछे हो गए।

लगातार आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग चलती रही 

छत्तीसगढ़ में लगातार आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग चलती रही है। देश में एक आदिवासी समाज की महिला को भाजपा ने राष्ट्रपति बनाया तभी से यह बात चर्चा में थी कि छत्तीसगढ़ में भी आदिवासी चेहरा मुख्यमंत्री बनेगा। भाजपा ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों और बस्तर संभाग की 12 में से 8 सीटों पर कब्जा किया। ऐसा पहली बार हुआ है, जब भाजपा ने इतने बड़े स्तर पर आदिवासी सीटें जीती हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला है।

डा. रमन सिंह की पहली पसंद 

विष्णु देव साय के परिवार का राष्ट्रीय स्वयं संघ से पुराना नाता रहा है। इनके दादा और ताऊ भी जनसंघ से विधायक- लोकसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री रहे। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की पहली पसंद रहे। नव निर्वाचित विधायकों की बैठक रविवार को हुई। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में इस बैठक में भाजपा विधायक दल के नेता का चयन किया गया।

संगठन व राजनीति का लंबा अनुभव

साय चार बार लोकसभा सदस्य, तीन बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, विधायक, केंद्रीय मंत्री रहने के कारण उनका संगठन में समन्वय और राजनीति में भी बेहतर अनुभव रहा। अध्यक्ष बनने के बाद भी साय काफी लो प्रोफाइल रहते हैं। संगठन और सरकार दोनों में काम करने का अनुभव है।

कार्यकर्ता बनकर काम किया, साफ-सुथरी छवि

साय राजनीति में साफ-सुथरी छवि वाले हैं। उन्हाेंने कभी भी पद के लिए लंबी राजनीतिक पारी खेलने को दिल्ली की दौड़ नहीं लगाई। संगठन की ओर से जो निर्देश मिले, उसी के अनुरूप कार्यकर्ता बनकर काम किया।

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