विवाह का कारक ग्रह गुरु अस्त, इस साल शादी का एक भी मुहूर्त नहीं
रायपुर
जिन युवक-युवतियों का रिश्ता तय होने वाला है और शादी करने का ख्वाब देख रहे हैं, उन्हें अभी विवाह के लिए और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि साल 2018 के शेष बचे नवंबर और दिसंबर महीने में एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है। श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं होने का कारण विवाह के लिए कारक माने जाने वाले गुरु तारा का अस्त होना है। इसके चलते विवाह जैसे शुभ संस्कार नहीं होंगे। गुरु तारा उदित होने और मलमास खत्म होने के बाद जनवरी 2019 में ही फेरे लिए जा सकेंगे।
देवउठनी से संस्कार शुरू, लेकिन विवाह में बाधा
जुलाई में पड़ी देवशयनी एकादशी से शुभ कार्य बंद हो चुके हैं और दीवाली के बाद 19 नवंबर को देवउठनी एकादशी पड़ रही है। इस दिन तुलसी-सालिगराम विवाह होगा लेकिन युवक-युवतियों के विवाह संस्कार नहीं किए जाएंगे। विवाह संस्कार के लिए आकाश मंडल में गुरु और शुक्र तारे का उदय होना आवश्यक है। चूंकि नवंबर को गुरु तारा अस्त हो रहा है इसलिए विवाह संस्कार नहीं किया जा सकता।
इसके बाद 14 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी मकर संक्रांति तक मल मास लग जाएगा। शास्त्रों में मल मास के दौरान भी शुभ कार्य करने की मनाही है। इस तरह देखा जाए तो शुभ संस्कारों पर जुलाई से लगी रोक जनवरी माह में पड़ने वाली मकर संक्रांति तक जारी रहेगी।
राम-जानकी विवाह में भी न करें विवाह
हालांकि गुरु अस्त रहने के दौरान अगहन शुक्ल पंचमी तिथि 12 दिसंबर को श्रीराम-जानकी विवाह होगा। कुछ लोगों ने यह सोचकर कि भगवान का विवाह इसी दिन हो रहा है तो अपने बेटे-बेटियों का ब्याह करने का मुहूर्त निकलवा लिया है। यह उचित नहीं है क्योंकि तारा अस्त रहने के दौरान तुलसी-सालिगराम विवाह तथा इसके पश्चात श्रीराम-जानकी विवाह तो किया जा सकता है, लेकिन इन्सानों के लिए तारा अस्त होने पर विवाह करना ठीक नहीं है।
13 नवंबर को अस्त होगा गुरु
ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी है जिसके कारण दिसंबर तक विवाह मुहूर्त नहीं है। शुक्र जो अस्त चल रहा है वह 31 अक्टूबर को उदित होगा, लेकिन शैशव अवस्था में रहेगा।
इसी तरह 19 नवंबर को पड़ रही देवउठनी एकादशी के पूर्व 13 नवंबर को गुरु अस्त हो रहा है। गुरु अस्त होने के बाद 6 दिसंबर को उदित होगा। यह भी श्रेष्ठ अवस्था में नहीं होगा। इसी तरह सूर्य 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश कर जाएगा और मलमास शुरू होगा। 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही शुभ मुहूर्त शुरू होंगे।