मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश के मधुमक्खी पालकों का हुआ आर्थिक सशक्तीकरण
टोंक एवं भरतपुर में उत्कृष्टता केन्द्रों से मधुमक्खी पालकों को मिलेगा प्रोत्साहन
जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश के किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही, अन्नदाता भी कृषि एवं उससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर प्रदेश को नई ऊचाईयों की तरफ ले जा रहे हैं। राज्य सरकार की जनोन्मुखी नीतियों से किसानों का ना केवल कृषि अपितु पशुपालन, उद्यानिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में सशक्तीकरण हो रहा है। परिणामस्वरूप राजस्थान भारत के कुल शहद उत्पादन में 9 प्रतिशत के योगदान के साथ अब उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार के साथ देश के पांच सबसे बड़े शहद उत्पादक राज्यों में शामिल हो गया है।
मधुमक्खी पालन अब कृषकों के लिए आय का बड़ा स्रोत बन गया है। किसान खेती के साथ शहद उत्पादन कर अपनी आय को दोगुना कर पा रहे हैं। वर्तमान में राज्य मंे लगभग 3 हजार 350 मधुमक्खी पालकांे द्वारा 2 लाख 76 हजार मधुमक्खी कॉलोनियां हैं। जिनसे लगभग 8 हजार 200 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य में अलवर, भरतपुर और हनुमानगढ़ शहद उत्पादन में अग्रणी जिले हैं।
किसानों की लागत हो रही कम, बढ़ रही आय
मुख्यमंत्री की प्राथमिकता है कि प्रदेश का किसान आर्थिक रूप से मजबूत बने। इस क्रम में राज्य सरकार द्वारा किसानों को विभिन्न तरह की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को बढावा देने के लिए वर्ष 2025-26 में 50 हजार मधुमक्खी कॉलोनियां एवं 50 हजार मधुमक्खी बॉक्स वितरित किये जा रहे हैं। इन पर कृषकों तथा मधुमक्खी पालकों को 40 प्रतिशत की दर से कुल 8 करोड़ रुपये का अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। इससे किसानों की लागत कम हो रही है तथा उनकी आय भी बढ़ रही है। साथ ही, प्रदेश के किसान शहद की ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर सफल उद्यमी भी साबित हो रहे हैं।
मधुमक्खी पालकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
राज्य सरकार की मंशा है कि मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षण मिले। जिससे बड़ी संख्या में मधुमक्खी पालक लाभान्वित हो रहे हैं। साथ ही, सरकार द्वारा एक हजार मधुमक्खी पालकांे को 2 करोड़ रुपये की लागत से मधुमक्खी पालन किट वितरित की जाएगी। इन एक हजार मधुमक्खी पालकों को मधुमक्खी कॉलोनियों के माईग्रेशन पर 9 हजार रुपये प्रति मधुमक्खी पालक की दर से सहायता भी दी जाएगी।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 10-10 करोड़ रुपये की लागत से भरतपुर एवं टोंक जिलों में मधुमक्खी पालन के उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये जा रहे हैं। इससे मधुमक्खी पालन को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित करने, मधुमक्खी पालकांे को तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाने तथा उनकी विभिन्न समस्याओं के समाधान में सहायता मिलेगी। इन उत्कृष्टता केन्द्रों में मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण, गुणवत्ता युक्त मधुमक्खी कॉलोनी, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, पैकिंग, विपणन एवं शहद गुणवत्ता की जांच से जुड़ी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी।
मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं एवं नवाचारों से राज्य के मधुमक्खी पालकों को बड़ी राहत मिली है। मीठी क्रांति के माध्यम से उनका आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है जिससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई उड़ान मिली है।
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