दीपावली व करवाचौथ को लेकर बाजार में खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड उमडी

दीपावली व करवाचौथ को लेकर बाजार में खरीदारी के लिए महिलाओं की भीड उमडी
awdhesh dandotia मुरैना। दीपावली के त्यौहार की पूर्व संध्या पर करवा चौथ का वृत महिलाओं के लिए काफी प्रचलन में बना हुआ है। हिन्दू धर्म के मानने वाले सभी वर्गों की महिलाएं करवा चौथ का वृत रखती है। इस वृत का इतना अर्थ समझा जाता है कि वह अपने सुहाग और समृद्धि के लिए रखा जाता है। वृत में भी अब मॉर्डल फेशन आ गया है महिलाएं अपने-अपने तौर तरीकों से सज धजकर चंद्र दर्शन के बाद वृत खोलती है। कई जगहों पर यह वृत सामूहिक रूप से भी मनाया जाने लगा है। करवाचौथ के 12 दिन बाद ही दीपावाली का त्यौहार आ जाता है। इन दिनों त्यौहारों की आगुबानी में घरों को सजाना और घर की आवश्यक वस्तुओं को खरीदना नए कपडे, वर्तन आदि की खरीद के लिए इन दिनों बाजारों में महिलाओं की भीड बेशुमार बढ रही है। कपडा और मकानों के सजाने की दुकानें तो भीडों से भरी ही हैं इसके साथ सोने, चांदी के जेवरात की दुकानें भी ग्राहकों से भरी नजर आ रही है। चुनावी घोषणा के बाद राजनैतिक लोग जहां अपने टिकिट पाने के कारोबार में जुट गए हैं वहीं दूसरी तरफ महिलाएं अपने त्यौहार मनाने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है। मुरैना का हनुमान चौराहा, पसारी बाजार, तेली पाडा, सदर बाजार, सराफा बाजार में भीड बढी हुई है। बाजारों में बढती भीड के कारण शहरी यातायात भी काफी प्रभावित होता है, लेकिन पुलिस के लोग इस व्यवस्था में सहभागी नहीं होते। लोग भरी भीड में दुपहिया और चार पहिया वाहनों को लेकर गुजरते हैं। जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को दोनों को परेशानी हो जाती है। बाजारों में भीड को देखकर दुकानदार भी अपनी वस्तुओं को महंगे दामों में बेचते हैं, लेकिन त्यौहार को मनाने के लिए कीमत की परवाह नहीं करते और खरीद फरोक्त में लगे रहते हैं। सौंदर्य प्रसाधन के दुकानदार के यहां भी महिलाओं की भीड़ सबसे अधिक बढती नजर आ रही है। इसके अलावा चूडी बाजार में भी भारी संख्या में महिलाओं की खरीद फरोक्त की जा रही है। बॉक्स - रेडीमेड वस्त्रों की बिक्री बढ़ी, टेलरों का धंध हुआ मंदा महिलाएं, युवतियां और युवा पुरूष भी अब नए फेशन की रेडीमेड निर्मित कपडों के शौकीन होने लगे है लोग रेडीमेड वस्त्रों को ही खरीदकर त्यौहार और शादी इत्यादि में भी रेडीमेड वस्त्रों का भी प्रयोग किया जाता है। रेडीमेड वस्त्रों की बिक्री होने के कारण टेलरों का धंध मंदा हो गया है। कुछ एक ग्रामीण लोग कोटन के कपडे सिलाने पहुंचते हैं बाकी शेष शहरी वातावरण में शत प्रतिशत रेडीमेड वस्त्र उद्योग का व्यवसाय बढ रहा है और सिलाई करने वाले दुकानदारों के यहां धंधे में काफी कमी आ रही है।