प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की गुहार काम नहीं आई
kamlesh pandey
ईशानगर। सरकार गांव-गांव बिजली पहुंचाने की बात कह रही है लेकिन अभी भी ऐसे तमाम गांव हैं जहां आजादी से लेकर अब तक बिजली नहीं पहुंची। बिजली विहीन गांव में चिमनी की रोशनी के सहारे बच्चे ज्ञान का दीपक जलाने में लगे हैं।
क्षेत्र के पठादा पंचायत का नाथनपुरवा ऐसा मजरा है जहां 50 से अधिक आदिवासी परिवार रहते हैं। आजादी से अब तक इस गांव में बिजली नहीं पहुंची। यूं तो अनुसूचित जाति जनजाति क्षेत्र और गांव के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं मगर आज के डिजिटल युग में नाथनपुरवा के लोग रोशनी को तरस रहे हैं। शासन प्रशासन इन आदिवासियों की सुध नहीं ले रही। यहां के बच्चे चिमनी की रोशनी में पढऩे को मजबूर हैं। हर साल हरिजन आदिवासियों की बेहतरी के लिए करोड़ों रुपए का बजट आता है लेकिन उसे बजट का जरा सा भी हिस्सा इन आदिवासियों तक नहीं पहुंच रहा। यहां के रहने वाले राजेन्द्र नागवंशी, सुरेन्द्र नागवंशी, हरपाल नागवंशी, कृपाल नागवंशी सहित गांव के अन्य लोगों ने बताया कि सरपंच सचिव से लेकर जनप्रतिनिधियों तक कई बार आदिवासी अपनी समस्या पहुंचा चुके हैं लेकिन समस्या का हल कोई नहीं निकाल रहा।