सांसद नागेंद्र सिंह के भतीजे ने दूसरे की जमीन पर तान दिया पेट्रोल पंप, नहीं हुई कोई सुनवाई

सांसद नागेंद्र सिंह के भतीजे ने दूसरे की जमीन पर तान दिया पेट्रोल पंप, नहीं हुई कोई सुनवाई

पूर्व गृह मंत्री व खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह के भतीजे का एक और कारनामा सामने आया

rajesh dwivedi सतना। मध्यप्रदेश शासन के पूर्व गृहमंत्री व खजुराहो सांसद नागेंद्र सिंह के भतीजे का एक और नया कारनामा सामने आया है। अवैध उत्खनन , दबंगई समेत विभिन्न मामलों में कुख्यात रहे उचेहरा के पूर्व जनपद अध्यक्ष रूपेंद्र सिंह बाबा राजा पर राजस्व अधिकारियों से सांठगांठ कर एक ऐसी जमीन पर पेट्रोल पंप खोलने का आरोप है, जो जमीन उनकी थी नहीं। इस मामले का विडंबनापूर्ण पहलू यह है कि मूल भू-स्वामी द्वारा मामले की शिकायत कलेक्टर से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक की गई लेकिन फरियादी की फरियाद अब तक प्रशासनिक गलियारों के नक्कारखाने में तूती की आवाज ही साबित हो रही है। इस मामले में बीपीसीएल के एरिया मैनेजर सुभाष का कहना है कि निश्चित तौर पर यह गंभीर मामला है क्योंकि पेट्रोल पंप संचालान की अनुमति कई चरणों से गुजरकर मिलती है। यदि ऐसी कोई दस्तावेजी हेराफेरी हुई है तो दस्तावेजों की पड़ताल के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बीपीसीएल नियमों और मानकों पर काम करती है जिसमें अनियमितताओं के लिए जगह नहीं है। समूची जानकारी एकत्र कर इस मामले में नियमानुसार कदम उठाए जाएंगे। क्या है मामला दरअसल उचेहरा विकासखंड अंतर्गत परसमनिया-गुढ़ा रोड में पूर्व जनपद अध्यक्ष रूपेंद्र सिंह बाबा राजा द्वारा अपनी पत्त्नी योगिता सिंह के नाम से योगिता सिंह पेट्रोल पंप खोला गया है। पेट्रोल पंप खोलने के लिए परसमनिया मौजा की जिस आराजी नंबर 82/2 का उपयोग किया गया है, वह आराजी वास्तव में है ही नहीं। यदि दस्तावेजों व स्थल का जायजा लिया जाय तो स्पष्ट होता है कि जिस आराजी नंबर 82/2 को उचेहरा में उस दौरान पदस्थ पटवारी व तहसीलदार ने रूपेंद्र सिंह के नाम से दर्ज किया है वह आराजी दरअसल आराजी क्रमांक-90/1/ख/ रकबा 0.209 है जो दस्तावेजों के मुताबिक वार्ड क्र. 2 उचेहरा निवासी कैलाश गुप्ता की है। बताया जाता है कि वर्ष 2012-13 में तत्कालीन पटवारी, तहसीलदार व अन्य अधिकारी नागौद-उचेहरा राजघराने की राजनैतिक दबंगई के आगे दब गए और उनके प्रति निष्ठा प्रकट करने व उपकृत होने के लिए कागजों में एक नई जमीन 82/2 गढ़ दी। दिलचस्प बात यह है कि उक्त आराजी में पेटेल पंप खोलने की अनुमति देने के पूर्व न तो जिला प्रशासन ने पेट्रोल पंप स्थल जांचने की कोशिश की और न ही भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों ने यह देखने की कोशिश की कि जिसे वे डीलर बना रहे हैं, उसके पास कंपनी के मानकों के मुताबिक भूखंड है भी या नहीं। बताया जाता है कि पेट्रोल पंप खोलने के लिए भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों को साधा गया था जिसके चलते पेट्रोल पंप स्थल की कागजी रिपोर्ट को देखकर पंप संचालन कीअनुमति दे दी गई , जबकि कंपनी का नियम है कि ऐसी अनुमति देने के पूर्व पंप स्थल का निरीक्षण कर उसकी नाप जोख की जाती है। मप्र शासन की है भूमि योगिता सिंह को आराजी क्रमांक 82 के बटांक 82/2 पर पेट्रोल पंप संचालन कीअनुमति दी गई। दस्तावेज बताते हैं कि यह जमीन सालों से खसरे में शासकीय भूमि के तौर पर दर्ज है। इतना ही नहीं बल्कि तत्कालीन कलेक्टर ने 30 अप्रैल 2013 को जिस प्रकरण क्रमांक रा.प्र.क्र. 80 अ 74 /2012-2013 को आधार बनाकर खसरा में रूपेंद्र सिंह तनय कांतिदेव सिंह जूदेव परसमनिया का नाम अंकित किया था , उसी प्रकरण क्रमांक रा.प्र.क्र. 80 अ74 /2012-2013 के आधार पर शासन ने उसी वर्ष 118 किसानों को पाला राहत की 346385 रूपए की राशि भी दी गई। जाहिर है कि रूपेद्र सिंह बाबाराजा को लाभ पहुंचाने राजस्व अधिकारियों ने कागजी जालसाजी की और शासकीय भूमि को कागजों में बंटन कर एक भाग का स्वामी बना दिया । चूंकि ऐसी कोई जमीन वहां नहीं है अत: उसी से सटी कैलाश गुप्ता की आराजी 90/1 /ख को ही आराजी क्र. 82/2 बताकर पेट्रोल पंप तान लिया गया । दबाव में थे अधिकारी या छले गए बाबाराजा उस दौरान अधिकारियों ने नागौद-उचेहरा राजघराने के रौब में आकर यह फर्जीवाड़ा कराया अथवा राजस्व अधिकारियों द्वारा बाबाराजा छले गए, यह तो जांच शुरू होने पर ही स्पष्ट हो सकेगा, लेकिन इस संगीन मामले में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अब तक जिस प्रकार का रूख नहीं दिखाया है, उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या दूसरे की आराजी पर तने पेट्रोल पंप के मामले में अभी भी प्रशासनिक अधिकारी दबाव में है? सबसे बड़ा सवाल तो भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर खड़ा हो रहा है। नोटिस पर चुप्पी इस मामले में भू -स्वामी कैलाश गुप्ता द्वारा वकील के जरिए भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक व सतना कलेक्टर को लीगल नोटिस देकर न केवल फर्जीवाड़े की जानकारी दी गई बल्कि 15 दिवस के भीतर जवाब भी मांगा गया, लेकिन 28 सितंबर को प्रेषित नोटिस का अब तक दोनों पक्षों से कोई जवाब नहीं आया है। असफल थे बीरबल पर राजस्व अधिकारी हैं कामयाब अकबर-बीरबल की मनोविनोदी कहानियों में से एक कहानी हवा महल में बेशक चतुर सुजान बीरबल शहंशाह अकबर के निर्देश पर हवा महल न बनवा पाए हों लेकिन राजस्व अधिकारियों ने जो कारनामा कर दिखाया है,वह बताता है कि ऐसे मामलों में बीरबल की समझ भी राजस्व अधिकारियों के आगे पानी भरती है। इसे राजस्व अधिकारियों की चतुराई कहें अथवा कुटिलता कि जिस जमीन का अस्तित्व ही नहीं था, उसी जमीन को कागजों में उतारकर अधिकारियों ने पेट्रोल पंप खुलवा दिया। वैसे जिले के राजस्व अधिकारी ऐसे फन में माहिर हैं। याद कीजिए कुछ वर्ष पूर्व का वाक्या जब चित्रकूट में राजस्व अधिकारियों ने भू- माफियाओं के साथ गठजोड़ कर कामतानाथ की आराजियों को ही बेच दिया था जिसकी बिक्री अभी भी शिद्दत से जारी है, जबकि कलेक्टर ने आदेश जारी करा कामतानाथ की आराजियों की खरीदी बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। जिले में ऐसे कई मामले हैं जिनमें राजस्Þव अधिकारियों की मनमानी ने जमीनी मसलों को उलझा रखा है। कई मामलों में तो राजस्व अधिकारी व कर्मचारी कलेक्टर को भी गुमराह करने से गुरेज नहीं करते हैं। वर्जन इस मामले में भ्रमित किया जा रहा है। जमीन हमारी है जो खरीदी की गई है। जिला प्रशासन की एनओसी के बिना पेट्रोल पंप की अनुमति भला कैसे मिल सकती है? दरअसल यह कुछ लोगों की साजिश है जो पेट्रोल पंप को बंद कराना चाहते हैं। हमने अनुमति के बाद ही पंप खोला है। रूपेंद्र सिंह बाबाराजा राजस्व विभाग के अधिकारियों ने रूपेंद्र सिंह बाबाराजा को गुमराह कर उक्त आराजी में नाम चढ़ाया है। जिस आराजी में पेट्रोल पंप खोलने की अनुमति अधिकारियों ने दी है वह जमीन मेरी है और पंप की तय आराजी का पता नहीं है। पंप मेरी आराजी पर खोला गया है, जबकि मंैने कोई आराजी नहीं बेची है। कैलाश गुप्ता, शिकायतकर्ता